Amazing Gita Facts: श्रीमद्भगवदगीता या गीता हिंदू धर्म का एक सबसे प्रमुख और पवित्र ग्रंथ है. श्रीमद्भगवदगीता का अर्थ है, ‘ईश्वर का गीत’. हिन्दू में गीता सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि जीवन जीने की मार्गदर्शिका भी है. यह हमें कर्तव्यपरायणता, भावनात्मक परिपक्वता, आत्मज्ञान और जीवन के बड़े लक्ष्य को समझने में मदद करती है. गीता पढ़कर व्यक्ति न केवल आध्यात्मिक रूप से बलशाली बनता है, बल्कि व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में भी सफलता प्राप्त कर सकता है. आइए जानते हैं, 18 अध्यायों वाले इस दिव्य ग्रंथ के 18 दुर्लभ और रोचक फैक्ट्स.
कब है गीता जयंती 2025?
हिन्दू धर्म में गीता जयंती वह पवित्र दिन है, जब भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. यह दिन ज्ञान के जन्म का उत्सव माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इसे मार्गशीर्ष माह की शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है, जो साल 2025 में सोमवार 1 दिसंबर को पड़ रही है. आइए जानते हैं, श्रीमद्भगवदगीता के जुड़े 25 रोचक और दुर्लभ फैक्ट.
1. महाभारत का अनमोल हिस्सा
भगवद गीता महाभारत का हिस्सा है और इसे भीष्म पर्व में स्थान दिया गया है. माना जाता है कि गीता की उत्पत्ति आज से 5162 वर्ष पहले हुई थी.
2 कुल 700 श्लोक
गीता में 700 श्लोक हैं, जिनमें 574 श्री कृष्ण, 84 अर्जुन, 41 संजय और केवल 1 श्लोक धृतराष्ट्र ने कहा है.
3. कुल 18 अध्याय
गीता को 18 अध्यायों में बांटा गया है. पहले 6 अध्याय कर्म योग, बीच के 6 अध्याय भक्ति योग, और अंतिम 6 ज्ञान योग पर आधारित हैं.
4. उपदेश का स्थान
यह ज्ञान भगवान कृष्ण ने दिन में दोपहर के समय कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में अर्जुन को दिया और अपना विराट रूप प्रदर्शित किया.
5. केवल अर्जुन नहीं थे श्रोता
अर्जुन के अलावा गीता के प्रवचन को हनुमान, संजय और बर्बरीक यानी खाटू श्याम ने भी गीता सुनी थी.
6. संस्कृत की अमर भाषा
गीता मूल रूप से संस्कृत में लिखी गई थी, लेकिन आज गीता का अनुवाद लगभग 175 भाषाओं में हो चुका है, जो विश्व में सबसे अधिक है.
7. पहला अंग्रेजी अनुवाद
किसी विदेशी भाषा में गीता का पहला अनुवाद चार्ल्स विल्किंस ने 1785 में लंदन में अंग्रेजी में किया.
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8. संख्या 18 का महत्व
गीता के 18 अध्याय, युद्ध के 18 दिन, और 18 अक्षौहिणी सेनाओं का विशेष संबंध है.
9. कर्तव्य सबसे पहले
गीता सिखाती है कि जीवन में सबसे पहले अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए. यह दुनिया की पहली ग्रंथ है, जो कर्म और कर्तव्य को सबसे अधिक महत्व देती है.
10. निःस्वार्थ कर्म
गीता सिखाती है कि हमें कर्मफल की इच्छा किए बिना अपने काम और दायित्व निभाने चाहिए.
11. भक्ति योग
गीता बताती है कि भक्ति केवल मंदिर में जाने या जाप करने से नहीं होती, बल्कि दैनिक कर्तव्यों में भगवान को याद करना भी भक्ति है.
12. आत्मा और मन का अस्तित्व
हम केवल शरीर नहीं हैं, बल्कि हमारी आत्मा और मन का अलग अस्तित्व है, जो अमर है. मन की शुद्ध नीयत ही आपके कर्मों की असली ताकत है.
13. अदृश्य सत्य
गीता कहती है कि जो दिखाई देता है, वह स्थायी नहीं, लेकिन जो अदृश्य है, वही वास्तविक है.
14. पूर्व जन्म
हमारे कर्म और जन्म हमेशा से जुड़े हैं; पूर्व जन्म की याद तो नहीं रहती, लेकिन कर्म का असर हमेशा रहता है.
15. आकर्षण का नियम
गीता के अनुसार, हमारे कर्म हमें अगले जन्म में आकर्षित करते हैं, इसलिए कर्मों का सही हिसाब रखना जरूरी है.
16. परमात्मा की कृपा
भगवान को जानना कठिन है और इसके लिए ईश्वर की विशेष कृपा की आवश्यकता होती है.
17. विज्ञान और प्रेरणा
ओपेनहाइमर जैसे वैज्ञानिकों ने गीता से जीवन-दर्शन सीखा. हॉलीवुड फिल्म ‘द लेजेंड ऑफ बैगर वेंस’ गीता से प्रेरित है.
18. सिलेबस में शामिल
विश्व प्रसिद्ध कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने गीता को सिलेबस यानी पाठ्यक्रम में शामिल किया है.
गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानसिक शांति, नैतिकता और कर्मयोग का जीवंत मार्गदर्शन है. गीता जीवन की हर कठिनाई में सही निर्णय लेने और मन की शांति पाने में मदद करती है. गीता सिखाती है कि कठिन साधना के बाद मिलने वाला आनंद अमृत समान होता है और सच्चे ज्ञान से व्यक्ति जीवन में बड़ी दृष्टि और संतुलन प्राप्त करता है.
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