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Religion

Badrinath Dham: बद्रीनाथ धाम में नहीं बजाते शंख और भौंकते नहीं कुत्ते, जानें क्यों?

भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम रहस्यों से भरा हुआ है। यहां पर शंख नहीं बजाया जाता है और कभी कुत्तों को भौंकते हुए भी नहीं देखा गया है। चलिए जानते हैं इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण के बारे में।

Author Edited By : Nidhi Jain Updated: May 5, 2025 11:42
Badrinath Dham Secrets
जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई 2025 को सुबह 6 बजे खुल गए हैं। आने वाले 6 माह तक भक्तजन बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर पाएंगे। जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यहां पर विष्णु जी की मूर्ति पद्मासन मुद्रा में स्थापित है, जिसे आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर खुद अपने हाथों से स्थापित किया था। हर साल बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन आते हैं।

हालांकि ये मंदिर आज भी कई रहस्यों से भरा है, जिसके बारे में अधिकतर लोगों को नहीं पता है। मान्यता के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता है। इसके अलावा कहा जाता है कि यहां पर कुत्ते भी नहीं भौंकते हैं, जिसके धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों मत हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में।

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धार्मिक कारण

बद्रीनाथ धाम में क्यों नहीं भौंकते कुत्ते?

मान्यता है कि विष्णु जी बद्रीनाथ धाम में तपस्या करते हैं। यहां पर वो ध्यान मुद्रा में मौजूद हैं। उनकी तपस्या भंग न हो, इसलिए कुत्ते यहां नहीं भौंकते हैं। एक अन्य मान्यता ये है कि बद्रीनाथ में कुत्ते विष्णु जी के सेवक हैं और भौंककर उनकी तपस्या को वो भंग नहीं करना चाहते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में नारायण ने कुत्तों को श्राप दिया था कि वो बद्रीनाथ धाम में कभी भौंक नहीं सकेंगे। इसलिए यहां कभी कुत्तों को भौंकते हुए नहीं देखा गया है।

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बद्रीनाथ धाम में क्यों नहीं बजाया जाता शंख?

बद्रीनाथ धाम को विष्णु जी का तपस्थल माना जाता है। यहां अगर शंख बजाते हैं तो उससे उनकी साधना भंग हो सकती है। इसलिए यहां शंख बजाना वर्जित है। एक अन्य कथा के अनुसार, कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम के निकट नागों का वास है। शंख की ध्वनि से नाग क्रोधित होते हैं। इसलिए यहां शंख नहीं बजाया जाता है।

एक और मान्यता है कि यहां बादल तो बहुत गरजते हैं लेकिन कभी बरसते नहीं हैं क्योंकि प्रकृति नहीं चाहती कि भगवान की तपस्या में कोई बाधा उत्पन्न हो।

वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिकों का मानना है कि बद्रीनाथ की भौगोलिक स्थिति और पर्यावरण कुत्तों के भौंकने के लिए अनुकूल नहीं है। इसलिए वो यहां नहीं भौंकते हैं।

सर्दियों के मौसम में बद्रीनाथ धाम में बर्फबारी होती है। यदि आप यहां शंख बजाते हैं तो उसकी आवाज पहाड़ों से टकराएगी और शंख की गूंज (Echo) के कारण बर्फ में दरार आ सकती है, जिससे तूफान आने की संभावना बढ़ जाएगी। इसलिए यहां पर शंख नहीं बजाया जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 05, 2025 11:42 AM

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