Ashadha Gupt Navratri 2025 Vrat Niyam: साल में कुल 4 बार मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिस दौरान व्रत भी रखा जाता है। साल 2025 में 26 जून से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है, जिसका समापन 9 दिन बाद 4 जुलाई को होगा। इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
मां दुर्गा से मनचाहा वर पाने के लिए कई लोग आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजा-पाठ करने के साथ-साथ व्रत भी रखते हैं। लेकिन व्रत के दौरान वो कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिस कारण उन्हें पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसलिए व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। चलिए अब जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि व्रत के दौरान किन 12 गलतियों को करने से बचना चाहिए।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि व्रत के नियम
- यदि आपने अपने घर में कलश व मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की है तो नवरात्रि के 9 दिन पूजा स्थान की सफाई करें। स्वस्थ वस्त्र धारण करने के बाद ही पूजा करें। नहीं तो आपको पाप लग सकता है।
- जो लोग अपने घर में कलश की स्थापना करते हैं, उन्हें घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए। हर समय घर में किसी न किसी सदस्य का रहना जरूरी है।
- मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को बिना स्नान किए स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही बिना कुला किए मंदिर कक्ष में जाना चाहिए।
- बासी फल-फूल, कटे-गले फल और झूठा भोजन मां दुर्गा को अर्पित नहीं करना चाहिए।
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- जिस कमरे में कलश की स्थापना की है, उस कमरे की लाइट हर समय चालू रहनी चाहिए।
- जिस कमरे में आपने मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की है, रात के समय उस रूप को खाली न छोड़ें। घर के किसी न किसी सदस्य का रात में वहां रुकना जरूरी है।
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा करना अशुभ माना जाता है।
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के 9 दिन शराब, प्याज, लहसुन, मांसाहार जैसे तामसिक चीजों, तंबाकू और गुटखे का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही इन्हें घर में लाना चाहिए। इससे व्रती की पवित्रता भंग हो सकती है।
- व्रत के दौरान क्रोध, झूठ, जलन, लालच और मोह की भावना को अपने ऊपर हावी न होने दें और ज्यादा से ज्यादा अपना मन भक्ति में लगाएं।
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है। साथ ही दाढ़ी काटने से भी बचना चाहिए।
- नवरात्रि के व्रत को बीच में नहीं तोड़ना चाहिए। इससे आपको पाप लग सकता है।
- नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। इसके बिना व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है।
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