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Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या पर करें ये 3 सिद्ध उपाय, पितरों की कृपा से होगी तरक्की

Ashadha Amavasya Upay: आषाढ़ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को दर्श अमावस्या की पूजा की जाती है, जिसे आषाढ़ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन सच्चे मन से कुछ उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। चलिए जानते हैं आषाढ़ अमावस्या के अचूक उपायों के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jun 17, 2025 16:18
Ashadha Amavasya 2025
सांकेतिक फोटो, Credit- News24 Graphics

Ashadha Amavasya 2025 Upay: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या मनाई जाती है, जिसे दर्श अमावस्या कहते हैं। वहीं जिस समय जो महीना चल रहा होता है, उस अमावस्या को उस माह के नाम से भी जाना जाता है। इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है। ऐसे में आषाढ़ माह में आने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाएगा।

आषाढ़ अमावस्या के दिन चंद्र देव और शिव जी की पूजा का विधान है। साथ ही पितरों को खुश करने के लिए तर्पण और दान किए जाते हैं। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवारवालों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं। इस साल 25 जून 2025, वार बुधवार को आषाढ़ अमावस्या मनाई जाएगी। चलिए जानते हैं पितरों को संतुष्ट करने के उपायों के बारे में।

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आषाढ़ अमावस्या के सिद्ध उपाय

  • यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो आषाढ़ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। उन्हें वस्त्र और दक्षिणा का दान दें। साथ ही गरीबों को काले तिल का दान देना शुभ रहेगा। इससे आपके पितर खुश होंगे और पितृ दोष का प्रभाव भी कम होगा।
  • आषाढ़ अमावस्या के शुभ दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें और दीप दान करें। साथ ही पितरों के नाम पर ब्राह्मणों को दक्षिणा देना शुभ रहेगा। इससे आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी और पितृ भी प्रसन्न होंगे।
  • जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, वो आषाढ़ अमावस्या के पावन दिन घर में पितरों के नाम का दीपक जलाएं। साथ ही रात के समय चंद्र देव की पूजा करें। इस उपाय से पितृ दोष का प्रभाव कम होगा और जीवन में खुशहाली बढ़ेगी।

आषाढ़ अमावस्या की पूजा का मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रात: काल 05 बजकर 25 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04 बजकर 05 मिनट से लेकर 04 बजकर 45 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त- नहीं है
  • गुलिक काल- सुबह 10 बजकर 39 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jun 17, 2025 04:03 PM

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