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Religion

क्या है भगवान श्रीकृष्ण का पहला नाम? जिसका जवाब अखिलेश को नहीं दे पाए कथावाचक अनिरुद्धाचार्य

सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अखिलेश ने अनिरुद्धाचार्य से एक सवाल पूछा था, जिसके जवाब में अखिलेश ने कहा कि बस अब यही से हमारे रास्ते अलग हो गए हैं। अखिलेश ने कथावाचक से पूछा था कि जब वसुदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को नंदबाबा को सौंपा तो उनका नाम क्या बताया था। आइए जानते हैं इस सवाल का असली जवाब क्या है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Jul 17, 2025 17:18
akhilesh and aniruddhacharya

सोशल मीडिया पर हाल ही में एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ है, जिसमें समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से भगवान श्रीकृष्ण का पहला नाम पूछते नजर आ रहे हैं। अखिलेश ने सवाल किया कि जब श्रीकृष्ण को उनके जन्म के बाद उनके पिता वसुदेव ने यमुना पार करके नंदबाबा को अपने बालक को सौंपा, तब उनका पहला नाम क्या था। अनिरुद्धाचार्य ने जवाब दिया कि यशोदा ने उन्हें ‘कन्हैया’ कहकर पुकारा। इस जवाब से अखिलेश संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने टिप्पणी की कि इससे उनके और अनिरुद्धाचार्य के ‘रास्ते अलग हो गए।’ इस घटना ने धार्मिक और सांस्कृतिक चर्चाओं को जन्म दिया है। आइए जानते भगवान श्रीकृष्ण का पहला नाम वसुदेव ने नंदबाबा को क्या बताया था।

क्या कहते हैं शास्त्र?

हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों जैसे श्रीमद्भागवत पुराण, हरिवंश पुराण, और महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में वासुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में हुआ था। कंस के अत्याचार से बचाने के लिए, वसुदेव ने नवजात श्रीकृष्ण को आधी रात को यमुना पार करके गोकुल में नंदबाबा और यशोदा के पास पहुंचाया था। शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि श्रीकृष्ण का मूल नाम उनके जन्म के समय उनके पिता वासुदेव द्वारा ‘कृष्ण’ रखा गया था।

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श्रीमद्भागवत पुराण (10.3.31) के अनुसार वसुदेव ने अपने पुत्र को जन्म के समय ‘कृष्ण’ नाम दिया, जो उनके गहरे रंग और दैवीय गुणों को दर्शाता था। इसके अलावा, कुछ परंपराओं में यह भी कहा जाता है कि वसुदेव ने उन्हें ‘वासुदेव’ के रूप में संबोधित किया, क्योंकि वे वसुदेव के पुत्र थे। यह नाम बाद में ‘वासुदेव-कृष्ण’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। पाणिनि के व्याकरण ग्रंथों में भी वासुदेव को एक स्वतंत्र देवता के रूप में पूजा जाने का उल्लेख मिलता है, जो श्रीकृष्ण का ही एक रूप था।

गोकुल में दिए गए कई नाम

जब वसुदेव ने श्रीकृष्ण को नंदबाबा और यशोदा को सौंपा, तब यशोदा ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में स्वीकार किया। गोकुल में पालन-पोषण के दौरान यशोदा और नंदबाबा ने श्रीकृष्ण को स्नेहवश कई नाम दिए। इन्हें कान्हा, कन्हैया, गोपाला और ‘नंदलाला’ था। ये नाम श्रीकृष्ण के बाल-स्वरूप, उनकी लीलाओं और गोकुल के अनुसार थे।

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क्या कहती हैं लोक कथाएं?

कुछ लोक कथाओं के अनुसार वसुदेव ने कारागार में जन्मे अपने पुत्र को वासुदेव कहा, जिसका अर्थ वसुदेव का पुत्र होता है। जब उन्होंने नंदबाबा को सौंपा तो कहा कि ये लो ‘गोपाल’। गाय पालक के कारण वसुदेव ने उनको गोपाल कहा। जब मां यशोदा के पास कृष्ण आए तो उन्होंने नंदलाला और नंदबाबा ने कृष्ण को यशोदानंदन नाम दिया। हालांकि ब्रज में बच्चों को लाला और लाली कहते हैं। इस कारण सभी कृष्ण को यशोदा का लाला भी कहते थे। गर्ग संहिता के अनुसार गर्ग मुनि ने उनका नाम ‘कृष्ण’ रखा था। ऐसे में प्रभु का पहला नाम ‘वासुदेव’ माना गया है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 16, 2025 10:52 PM

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