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Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी पर दिया जाता है तारों को अर्घ्य, क्या आप जानते हैं इसके पीछे की मान्यता?

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी के दिन मां अपनी संतान के जीवन में सुख-शांति के लिए निर्जला व्रत करती हैं. इस व्रत के दिन तारों को अर्घ्य दिया जाता है. इसके पीछे की मान्यता के बारे में आपको बताते हैं.

Author Written By: Aman Maheshwari Author Published By : Aman Maheshwari Updated: Oct 13, 2025 13:10
Ahoi Ashtami 2025
Credit- News24 Graphics

Ahoi Ashtami 2025: करवा चौथ के व्रत की तरह ही अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. अहोई अष्टमी पर संतान के लिए व्रत रखा जाता है. अहोई अष्टमी पर व्रत कर तारों की पूजा की जाती है. इस दिन तारों को अर्घ्य दिया जाता है. यह व्रत माता बच्चों की लंबी उम्र और उनके उज्जवल भविष्य के लिए रखती हैं. आपको अहोई अष्टमी व्रत की परंपराओं के बारे में बताते हैं साथ ही जानते हैं कि, इस दिन तारों को अर्घ्य देने का क्या महत्व है?

अहोई अष्टमी व्रत की परंपराएं

अहोई अष्टमी पर माताएं व्रत करती हैं. इस दिन माताएं सुबह से व्रत करती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं. अहोई माता की पूजा करती हैं. कथा सुनती हैं और आरती कर माता को भोग लगाती हैं. माता को हलवा चने और मीठी चीजों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद शाम के समय तारों को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं. इन परंपराओं के साथ अहोई अष्टमी का व्रत संपन्न होता है.

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अहोई अष्टमी पर क्यों दिया जाता है तारों को अर्घ्य?

अहोई अष्टमी पर तारों को जल अर्पित करने की परंपरा काफी पुरानी है. ऐसी मान्यता है कि, जिस तरह आकाश में सदैव तारे चमकते रहते हैं वैसे ही तारों को अर्घ्य देकर माता अपने बच्चों को भविष्य के लिए कामना करती है. उनका जीवन हमेशा चमकता रहे. अहोई माता की पूजा कर संतान की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं. तारों को अर्घ्य देने की एक ओर मान्यता है कि, तारों को अहोई माता का वंशज माना जाता है.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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First published on: Oct 13, 2025 01:10 PM

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