Goa Assembly: गोवा विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष राज्य सरकार के खिलाफ इस बार कड़ा रुख अख्तियार किए हुए है। एक के बाद एक आरोप मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और उनकी सरकार पर लगाए जा रहे हैं। गोवा फारवर्ड पार्टी ने भाजपा सरकार पर जमीन के सौदागरों और भू माफिया की मदद करने का आरोप लगाया है। GFP के अध्यक्ष ने गोवा में जुआरी एग्रो लैंड बिक्री को लेकर राज्य सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। सरदेसाई ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और मंत्री अतानासियो मोनसेर्रेट पर जुआरी एग्रो केमिकल्स लिमिटेड की जमीन के मामले में 50 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है।
दरअसल साल 1971 में यह जमीन सांकॉल समुदाय से खरीदी गई थी। जमीन खरीदने का उदेश्य राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देना था ताकि यूथ के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकें। लेकिन विपक्ष का कहना है कि इस जमीन को विक्षप्त करने के लिए सरकार भू माफिया की मदद कर रही है। इस जमीन का इस्तेमाल अब कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज के लिए किया जा रहा है। जिससे बाहरी जमीन के सौदागरों को मोटा मुनाफा हो रहा है, जबकि लोकल यानी कि स्थानीय गोवा के लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा।
विपक्ष ने बताया षड्यंत्र
विपक्ष ने इसे बड़ा षड्यंत्र बताया है। कहा कि जमीन के विकास के लिए दी गई अनुमति इसी साजिश का हिस्सा है। इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों का हक मारकर कुछ चुनिंदा लोगों को समृद्ध बनाना है। सवाल जमीन के खरीदे दाम और बेचे जा रहे फ्लैट्स के दाम को लेकर भी खड़े किए जा रहे हैं। जुआरी फैक्ट्री की जमीन को शुरुआत में 25 पैसे प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से खरीदा गया था। हालांकि इस जमीन पर फ्लैट्स को पहले 53000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से बेचा गया था। अब मौजूदा समय में करीब 119000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से फ्लैट बेचे जा रहे हैं।
विपक्ष का दावा है कि यह पूरा स्कैम 50 हजार करोड़ का है और इस भ्रष्टाचार में सरकारी अधिकारी, मंत्री, भू माफिया शामिल हैं। यह पहली बार नहीं है कि जुआरी एग्रो जमीन का मुद्दा उठा हो। इससे पहले भी गोवा विधानसभा में यह मुद्दा कई बार उठा है। विपक्ष का कहना है कि इससे पहले सीएम सावंत ने मुद्दे पर कई वायदे किए थे, जो कभी हकीकत में नहीं बदले। सीएम ने आश्वासन दिया था कि इस मामले की जांच SIT के करवाई जाएगी। जमीन के विकास के लिए दी गई किसी भी अवैध अनुमति को रद्द किया जाएगा। सरदेसाई का कहना है कि निर्माण गतिविधियां और भूखंडों की बिक्री बिना रोकटोक जारी है।
मामले की जांच होगी
हालांकि सीएम सावंत अपनी बात पर कायम हैं। उनका कहना है कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की राय का इंतजार किया जा रहा है और पूरी जांच के बाद अवैधता पाए जाने पर अनुमति रद्द कर देंगे। लेकिन सरकार के इस बयान को भी विपक्ष खोखला आश्वासन मानकर चल रहा है।