Zakir Ussain Taj Mahal Concert Memoir: यकायक एक झटका-सा लगा है, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब के इस दुनिया से रुखसत हो जाने के समाचार पाकर। ऐसा लगा जैसे उनके तबले की थाप के थम जाने से मानो हिंदुस्तानी संगीत की देश-दुनिया में धमक भी अचानक थम गई हो। मैं अतीत के झरोखे से याद कर रहा हूं उनको। मुझे याद आया उनके साथ बिताया हर एक लम्हा। बेशक वो शाम वाह ताज के स्लोगन के साथ एक चाय कंपनी के चर्चित विज्ञापन के नायक की थी।
उस उस्ताद की थी, जिसने अपने खानदान की पहचान को और भी मुखर किया अपने तबला वादन के जरिए, लेकिन संगीत से सजी उस शाम की यादों को टटोलता हूं तो बिखरे-बिखरे से रहने वाले उनके घुंघराले बाल, मानो उस दिन की शाम हवा में लहरा-लहरा कर उनके मदमस्त मिजाज़ का अहसास करा रहे थे। उनके तबले की थाप पर मंत्रमुग्ध श्रोता उस दिन वाह ताज नहीं बल्कि वाह उस्ताद कह उठे।
The rhythm of India paused today…
---विज्ञापन---In tribute.
🙏🏽🙏🏽🙏🏽#ZakirHussain
pic.twitter.com/eknPqw4uKM— anand mahindra (@anandmahindra) December 15, 2024
ताज नेचर वॉक के आंगन में किया था परफॉर्म
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब क्या खूब हुनर पाया था। उस मखमली शाम को मंच पर उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब ने तबले से न सिर्फ खूबसूरत संगीत का अहसास कराया बल्कि भोले बाबा के डमरू से निकलने वाली आवाज़ का भी आभास कराया था। न जाने कितनी तरह की आवाज़ों का अहसास उस शाम वन विभाग के जंगल में उन्होंने कराया, जहां कभी कोयल की कूक तो कभी पपीहे की पुकार सुनाई देती रही थी, उस शाम यह सब आवाजें फिर से सुनाई दीं, लेकिन इस बार उस्ताद के तबले की आवाज़ उन पर भी हावी होते हुए महसूस हुई। उस शाम को जो ताज के साए तले ताज नेचर वॉक के आंगन में सजाई गई थी, यादगार बनाने का हर जतन आयोजनकर्ताओं द्वारा किया गया था।
यहां आगरा में उस्ताद जश्न-ए-ताज कॉन्सर्टस सीरीज के तहत इस शाम को सजाने आए थे। आगरा के बाशिंदों के लिए यह किसी ख्वाब के सच होने से कम भी तो न था, क्योंकि बखूबी याद आता है जब टेलीविजन का विस्तार छोटे शहरों में हुआ था तो एक कंपनी के विज्ञापन में उस्ताद तबला वादन कला का कमाल दिखाकर और फिर एक चाय का सिप लेकर वाह ताज जो बोलते थे तो वह विज्ञापन सिर चढ़ कर बोलने लगता था। दुनिया के 7 अजूबों में से एक ताज के साए तले उस शाम उस्ताद ने जी भरकर तबला वादन किया।
#RIP Ustad Zakir Hussain dies at 73
Perhaps the last of the legends whose name is synonymous with a musical instrument. End of an era. pic.twitter.com/D6JFMStYRq
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) December 15, 2024
5 स्टार होटल में उस्ताद मीडिया से हुए थे रूबरू
उस सुहानी शाम से पूर्व उस्ताद एक पंचतारा होटल में आगरा के स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया से भी मुखातिब हुए थे। उस मुलाक़ात में उस्ताद बेहद रोमांचित और उत्साहित थे, ताजमहल में तबला वादन के दुर्लभ अनुभव और प्रस्तुति को लेकर। मुझे आज भी वो शाम याद है, उन्होंने होटल में चुनिंदा लोगों और मीडिया के नुमाइंदों के साथ बेहद सहज और सरल भाव से न सिर्फ तसल्लीभरी मुलाक़ात की, वरन अपने चाहने वालों को अपने साथ फोटो करवाने का सुअवसर भी दिया। अखबार के लिए इंटरव्यू लेने के बाद मैं भी कैमरे से उस्ताद के साथ उस यादगार मुलाकात की यादों को संजोने का लोभ संवरण न कर सका था, जो निसंदेह अविस्मरणीय भी रही थी।
उद्यमी और समाजसेवी अशोक जैन सीए ने पत्रकारों के लिए इस खास सेशन को आगरा के कैंट स्थित एक पंचतारा होटल में आयोजित किया था। इसमें कतई संदेह नहीं है कि उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब ने बेशक तबला सरीखे वाद्य को बहुत ऊंचाई पर पहुंचा दिया था। अपने पुरखों की इस विरासत को बेशक उन्होंने बखूबी न सिर्फ संभाला, बल्कि अल्लाह रक्खा खां साहब के साथ भी और उनके बाद भी और ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनका नाम संगीत के क्षितिज में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा। आज उनके शिष्य उनकी इस विरासत को आगे बढ़ाने का काम भले ही कर रहे हैं, लेकिन उस्ताद की जगह कोई भी नहीं ले पाएगा। जब-जब हिंदुस्तानी संगीत की चर्चा होगी, इतिहास में उनका नाम अमर रहेगा।
#WATCH | #ZakirHussain, one of the world’s most transcendent musicians, has passed away at the age of 73. Glimpses of his performances.
(Visuals – ANI Archive) pic.twitter.com/dYwiVGfdS0
— ANI (@ANI) December 16, 2024
आगरा में आज भी सिखाया जाता तबला वादन
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन साहब ने साबित कर दिखाया था कि तबला सिर्फ संगतभर का वाद्य नहीं है, इसकी एकल और अन्य साजों के साथ प्रस्तुति भी काबिल-ए-तारीफ हो सकती है। आज भी संगीत के प्रतिष्ठित आगरा घराने में तबला बहुत महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र है। तबला वादन सिखाने की आज भी बकायदा कई क्लास लगती हैं। आगरा की दयालबाग डीम्ड यूनिवर्सिटी में तबला वादन पर न सिर्फ शिक्षण और प्रशिक्षण दिया जाता है, वरन रिसर्च भी की जाती हैं।
देश की पहली तबला वादन कला की प्रोफेसर डॉक्टर नीलू शर्मा के निर्देशन में महिला तबला वादकों की एक नई जमात भी तैयार हो रही है, जो तबला वादन के क्षेत्र में भविष्य की नई संभावनाओं की ओर इशारा करते हुए उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करता है। उस्ताद जब तक यह दुनिया है, आपको बड़ी शिद्दत से याद किया जाता रहेगा। आपका संगीत की दुनिया में तबले सरीखे वाद्य यंत्र को बहुआयामी स्वरूप में प्रस्तुत करने का योगदान हर उस मौके पर सम्मान के साथ याद किया जाएगा, जब-तब इस तबला वादन कला की बात छिड़ेगी। मैं तबला वादन कला के सुपर स्टार रहे उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को शब्दांजलि संग श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं…
Family confirms Ustad Zakir Hussain has passed away in San Francisco from complications related to idiopathic pulmonary fibrosis.
He was 73. And didn’t ever seem even half that age, did he?
Farewell, Ustad🙏🏽💔 pic.twitter.com/GbeD797ODt
— Shiv Aroor (@ShivAroor) December 16, 2024