अभिषेक मेहरोत्रा
ग्रुप एडिटर डिजिटल, न्यूज 24
एक सफल और अच्छे जीवन के लिए क्या जरूरी है? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए किसी बड़े लेखक, बिजनेसमैन या फिर दार्शनिक का रुख करने की जरूरत नहीं है, देवों के देव महादेव को देखकर और समझकर इसका जवाब आसानी से हासिल किया जा सकता है। आज महाशिवरात्रि के मौके पर जब पूरा देश शिवमय है, महादेव की पूजा-अर्चना के साथ ही उनसे जुड़ी अनमोल बातों को आत्मसात करना और उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाना एक सफल भविष्य की शुरुआत हो सकता है।
शिव सबसे बड़ी सीख स्त्री सम्मान की देते हैं, जिसे सीखना आज के समय में सबसे अहम और महत्वपूर्ण है। महादेव से जुड़ी लगभग हर पौराणिक कथा में माता पार्वती का भी जिक्र है, जो न केवल दोनों के बीच स्नेह का प्रतीक है बल्कि समानता और सम्मान को भी दर्शाता है। बाल गणेश के सिर को धड़ से अलग करना और फिर माता पार्वती के क्रोधित और दुखी होने पर उन्हें गजराज का सिर देना, सफल दाम्पत्य जीवन का अनमोल उदाहरण हैं। जहां शिव ने अपनी गलती स्वीकार की, उसे सुधारा और फिर कभी नहीं दोहराया। कटे शीश को फिर धड़ से जोड़ने जैसा चमत्कार भगवान ही कर सकते हैं, यह मनुष्य के बस की बात नहीं। हम जो कर सकते हैं, वह है – शिव की तरह गलती को स्वीकारना और भविष्य में उसे कभी न दोहराना। रिश्तों के टूटने की एक बड़ी वजह गलतियों को न स्वीकारना और मान-सम्मान का अभाव है।
कैलाश पर्वत पर विराजने वाले महादेव तीनों लोकों के स्वामी हैं। उन्हें देवों का देव कहा जाता है यानी वह सबसे श्रेष्ठ हैं। इसके बावजूद उन्हें प्रसन्न करने के लिए हीरे-जवाराहत के चढ़ावे की जरूरत नहीं होती। बेलपत्र और धतूरे जैसी सामान्य चीजें भी उनके चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं। शिव का यह आचरण, छोटी-छोटी चीजों में खुश रहने का संदेश देता है। साथ ही दर्शाता है कि सफलता की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी विचार धरातल पर रहने चाहिए। सरल जीवन सफलता में पैबंद नहीं लगाता बल्कि उसे निखारता है।
आजकल खुशी के मायने बदल गए हैं। लोगों ने छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढना छोड़ दिया है। इस वजह से जीवन में तनाव हावी होने लगा है। सफलता अब दिखावे से पहचानी जाने लगी है और अहंकार उसका अनिवार्य गहना बन गया है। जब स्वयं महादेव अहंकार को अंगीकार नहीं करते, बेलपत्र और धतूरे जैसी सामान्य चीजें से प्रसन्न हो जाते हैं, तो फिर हमारे लिए इससे बड़ी प्रेरणा क्या ही होगी!
महादेव मनुष्य, गण, दानव, दैत्य, देवता, पशु, कीड़े, मकोड़े, भूत और पिशाच, सबके आराध्य हैं। भगवान शिव की बारात के ये सभी बाराती थे। यह हमें ऊंच-नीच और भेदभाव में विश्वास न रखने की सीख देता है। इसके साथ ही यह भी दर्शाता है कि सफलता ऐसी होनी चाहिए कि हर वर्ग आपका कायल हो जाये। आप चंद लोगों के बनकर ही न रह जाएं यानी दूसरों शब्दों में यदि आप न्याय कर रहे हैं तो न्याय दिखना भी चाहिए।
शिव से समाज कल्याण और बलिदान की भी सीख मिलती है। महादेव का समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पीना, समाज और दूसरों की भलाई के लिए कष्ट उठाने से पीछे न हटने का भी संदेश है। मौजूदा समय में कल्याण और बलिदान की यह भावना ज्यादा देखने को नहीं मिलती। इसके साथ ही शिव यह भी सिखाते हैं कि क्रोध की वाजिब वजह होनी चाहिए और समाज के हर वर्ग के प्रति हमारा दिल स्नेह से भरपूर होना चाहिए। महादेव के बारे में कहा जाता है कि उन्हें प्रसन्न करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। वह अपने भक्तों की पुकार जल्द सुन लेते हैं। जो दर्शाता है कि पर्सनल लाइफ हो या प्रोफेशनल, हमें दूसरों की बातों को अनसुना नहीं करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर, महादेव को प्रेरणा मानकर उनसे जुड़ी इन बातों पर अमल की शुरुआत एक सफल जीवन की नींव हो सकती है। कुल मिलाकार ये कहा जा सकता है कि ईगो, लालच, चालाकी, स्वार्थ से मुक्ति ही शिव की प्राप्ति है।
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