Jyotiraditya Scindia chance Madhya Pradesh CM: मध्य प्रदेश चुनाव 2023 के नतीजे 6 दिन पहले आ चुके हैं। राज्य में सीएम चेहरे की दौड़ में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल के साथ-साथ ग्वालियर चंबल अंचल में दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी शामिल हैं। बता दें कि 2023 के विधानसभा चुनाव में राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह पर ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया भारी पड़ गए ग्वालियर चंबल अंचल की 34 में से 8 सीटों पर राजा दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक प्रत्याशियों में भिड़ंत हुई थी। इसमें सिंधिया समर्थक पांच प्रत्याशी जीते, जबकि दिग्विजय सिंह के तीन समर्थक ही जीत पाए।
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सिंधिया के CM बनने के सियासी मायने
हाल ही में ग्वालियर राजघराने के राजा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के प्रति बढ़ती नजदीकी बताती है कि वह भी मध्य प्रदेश में सीएम पद के रेस में बने हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2018 पर गौर करें तो वह कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे और पूरा चुनाव ‘शिवराज बनाम महाराज’ के तौर पर लड़ा गया था, जिसका फायदा कांग्रेस सरकार को मिला था। ऐसे में अगर वह सीएम बनते हैं तो यह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अखरने वाला है, इसकी वजह यह है कि वह 18 साल तक कांग्रेस में रहे हैं और भाजपा में आए हुए उन्हें तीन साल होने जा रहे हैं, इससे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के मन में यह बात जरूर सामने आ सकती है कि पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की अवहेलना करके उन्हें इतने कम टाइम पीरियड में भारी-भरकम पद दे दिया गया।
मराठा समाज में भी मजबूत छवि
दूसरी बात, 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर देखें तो सिंधिया का सीएम बनना अन्य नामों की बजाय फायदेमंद हो सकता है क्योंकि चम्बल संभाग के अलावा मराठा समाज में भी उनकी छवि सम्मानित नेता की रही है। वहीं जहां मनोज जरांगे पाटिल, महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के खिलाफ आरक्षण की जंग छेड़े हुए हैं, ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया महाराष्ट्र में ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।