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Israel Hamas War का आध्यात्मिक विश्लेषण…सबका एक ही मर्म, आस्था-विश्वास और धर्म

Israel Hamas War Spiritual Analysis: कोई भी लड़ाई या क्रूरता हमें यही बताती है कि धर्म एक आम आदमी के लिए उसके किस्से, कहानियों, मान्यताओं का एक पिंड मात्र है। जानें दोनों देशों के बीच छिड़े युद्ध का धार्मिक पहलू...

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Oct 15, 2023 18:12
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Israel Hamas War
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आचार्य प्रशांत

कोई भी लड़ाई या क्रूरता हमें यही बताती है कि धर्म एक आम आदमी के लिए उसके किस्से, कहानियों, मान्यताओं का एक पिंड मात्र है। मेरे पास मेरी कहानी है, आपके आस आपकी कहानी है और मैं कुछ भी मान सकता हूं। आप भी कुछ भी मान सकते हैं। अब जब हर आदमी अपनी मान्यता के हिसाब से चलेगा तो लड़ाई तो होगी ही। यह ऐसी बात है कि एक ने सपने में देखा कि सेब नारंगी होता है। दूसरे ने देख लिया कि सेब हरा होता है। असल में सेब क्या है, यह किसी ने नहीं देखा, पर सपने दोनों ने देखे हैं तो दोनों लड़ रहे हैं कि सेब का असली रंग क्या है। असलियत में सेब होता भी है कि नहीं, यह भी किसी ने नहीं देखा।

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जब तक धर्म का अर्थ होगा विश्वास, आस्था तब तक धर्म का मतलब होगा, लड़ाई। अब वैसे तो आज इजरायल, हमास युद्ध चल रहा है। इस्लाम और यहूदी मत में यह लड़ाई होनी ही नहीं चाहिए, क्योंकि दोनों मत एक दूसरे के बहुत पास के हैं। दोनों ही अब्राहमिक धारा से आते हैं। यहूदियों के जो पैगंबर हैं, उनको इस्लाम भी स्वीकारता है, पर फ़िर भी लड़ाई हो रही है। क्योंकि दोनों आस-पास के तो हैं, लेकिन एक नहीं हैं। दोनों ही जिन जगहों को पवित्र मानते हैं, वे भी बिल्कुल आस-पास की है, पर एक नहीं हैं।

नफरत का शिकार बच्चे-महिलाएं बनीं

बाहर से देखो तो बहुत बड़ा युद्ध दिख रहा है, लेकिन उसके आधार में बच्चों वाली बातें ही हैं। बिल्कुल बच्चे घूम रहे हैं। अपनी-अपनी कॉमिक्स लेकर, एक के पास टार्जन की कॉमिक्स है तो दूसरे के पास इन्रजाल कॉमिक्स है और दोनों लड़े हुए हैं कि सुपर हीरो कौन-सा सबसे बड़ा होता है। इजरायल ने कहा कि गाजा को पूरा बंद कर देंगे। न वहां पर खाना जाने देंगे, न बिजली और न पानी और दूसरी ओर हमास वाले रातोंरात 5 हज़ार रॉकेट चला रहे हैं।

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बॉर्डर से अन्दर घुस कर इजरायल के बच्चों और महिलाओं को अपनी नफरत का शिकार बना रहे हैं। क्यों है इतनी क्रूरता, क्योंकि धर्म आपकी सबसे बड़ी पहचान आपके परमेश्वर, आपके भगवान से बना देता है, आपकी अपनी हस्ती कुछ रहती ही नहीं और जब आपके धर्म पर कोई आक्षेप करता है तो वह बात आपको अपनी मौत जैसी लगती है। यह सब कल्पना पर आधारित भावनाएं हैं, बस उससे ज्यादा कुछ नहीं, लेकिन जब इन तथाकथित धार्मिक भावनाओं पर ठेस पहुंचती है तो फिर आप अति उग्र और हिंसक हो जाते हो, क्योंकि वह ठेस धार्मिक भावना पर नहीं, आपके अस्तित्व के केंद्र पर पहुंची है।

वेदांत जिज्ञासा को सबसे ज्यादा सम्मान देता

जब तक धर्म का यही सब मतलब है, तब तक धर्म रहेगा ही झगड़े फसाद का अड्डा। हमें धर्म चाहिए जो कहता हो कि प्रश्न पूछो। हमें प्रश्न, प्रयोग, परीक्षण पर आधारित धर्म चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की बात हो, उसमें सिर्फ़ कुछ महान लोगों की नहीं, धर्म के आधार में हमेशा दर्शन होगा। कल्ट में और धर्म में यही अंतर होता है कि कल्ट माने मानो और धर्म माने जानो। जहां मानने के लिए मजबूर किया जा रहा है, उसको धर्म नहीं सिर्फ़ कल्ट बोलो।

धर्म का अर्थ होता है, वो जो आपको दोबारा आपके केंद्र की ओर ले जाए। असली केंद्र बोलते किसको हैं, उसके लिए आपको वेदांत की ओर आना पड़ेगा। मैं वेदांत की बात इसलिए नहीं करता कि मैं हिन्दू घर में पैदा हुआ था, बल्कि इसलिए कि वेदांत जिज्ञासा को सबसे ज्यादा सम्मान देता है। इसलिए आप लोगों तक वेदांत लाने का प्रयास करता रहता हूं। धर्म वो जो मुझे प्रेरित कर रहा है, मेरे भीतर जाने को, मेरी ही हस्ती को खोज कर लाने को।

(लेखक- संस्थापक, प्रशांत अद्वैत संस्था, वेदांत मर्मज्ञ, पूर्व सिविल सेवा अधिकारी)

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Oct 15, 2023 06:05 PM

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