पिछले एक दशक में भारत ने जो परिवर्तन देखा है, उसने देश की वैश्विक छवि को पूरी तरह से नया आकार दे दिया है। पहले एक उभरती हुई विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में देखे जाने वाला भारत, अब रक्षा, अंतरिक्ष और अत्याधुनिक तकनीकों के क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हुए दुनिया के चुनिंदा अग्रणी राष्ट्रों में शामिल हुआ हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के पिछले 11 साल के कार्यकाल में भारत ने ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘मेक इन इंडिया’ और नवाचार केंद्रित नीतियों के ज़रिए स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा दिया है, जिससे देश अब केवल तकनीकी दौड़ में भागीदार नहीं, बल्कि दिशा निर्धारक बन गया है।
रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्धियां
मोदी सरकार के आत्मनिर्भरता पर जोर और डीआरडीओ (DRDO) के नए प्रयोग और प्रयासों से भारत ने रक्षा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक मुकाम हासिल किए हैं।
- लेजर-आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन की सफल परीक्षण प्रक्रिया पूरी कर भारत अमेरिका, रूस और चीन के साथ उस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है, जो इस तकनीक से लैस हैं।
- 2025 में एक्टिव कूल्ड स्क्रैमजेट तकनीक के सफल परीक्षण के साथ भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है। स्वदेशी रूप से विकसित एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन इसमें अहम भूमिका निभा रहा है।
- हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण (नवंबर 2024): यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है और पांच गुना ध्वनि की गति से अधिक तेज़ उड़ान भरती है।
- अग्नि-V का MIRV तकनीक के साथ परीक्षण (2024): एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों को साधने की यह क्षमता भारत को विश्व की चुनिंदा परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की कतार में खड़ा करती है।
- समुद्र से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रणाली (2023) का सफल परीक्षण भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमता को नई ऊंचाई पर ले गया।
- स्वदेशी स्टील्थ UAV का परीक्षण (2023): बिना पायलट के उड़ने वाले विमान की यह तकनीक भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी है।
- मिशन शक्ति (2019) के तहत एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के ज़रिए लो अर्थ ऑर्बिट में सक्रिय एक सैटेलाइट को सफलतापूर्वक नष्ट कर भारत ने खुद को अंतरिक्ष सुरक्षा में सक्षम राष्ट्रों की सूची में शामिल किया।
अंतरिक्ष में भारत की ऊंची उड़ान
इसरो के नेतृत्व में भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम वैश्विक पटल पर लगातार नए कीर्तिमान रच रहा है:
- •SpaDEx मिशन के जरिए भारत ने सैटेलाइट डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक में सफलता हासिल की, जिससे वह विश्व के चार उन देशों में शामिल हो गया जिनके पास यह अत्याधुनिक क्षमता है।
- •चंद्रयान-3 (2023) ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना दिया। यह उपलब्धि भारत को चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाले अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश भी बनाती है।
- •क्रायोजेनिक इंजन निर्माण (2022) में आत्मनिर्भरता हासिल कर भारत छठा ऐसा देश बन गया, जिसने इस उन्नत तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित किया है।
- •104 सैटेलाइट एक साथ प्रक्षेपण (2017) कर इसरो ने विश्व रिकॉर्ड बनाया और साबित कर दिया कि भारत कम लागत में उच्च तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी बन चुका है।
तकनीक के नए क्षेत्रों में भी भारत की सशक्त उपस्थिति
- •Semicon India पहल के माध्यम से भारत ने सेमीकंडक्टर निर्माण की दौड़ में कदम रखा है। वैश्विक तकनीकी कंपनियों के साथ हुए समझौतों से भारत अब चिप निर्माण में अग्रणी देशों की कतार में शामिल हो रहा है।
- •नेशनल मिशन फॉर क्वांटम टेक्नोलॉजी एंड एप्लिकेशन (NMQTA) के तहत भारत ने क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे भविष्य के तकनीकी क्षेत्र में 6000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, जिससे वह अमेरिका और चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
आत्मविश्वासी राष्ट्र की कहानी
भारत की यह यात्रा केवल तकनीकी उपलब्धियों की नहीं, बल्कि एक महत्वाकांक्षी और आत्मविश्वासी राष्ट्र की कहानी है जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत अब वैश्विक मंच पर नेतृत्व करने की स्थिति में है।