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Opinion

सामना संपादकीय: गुजरात की धरती से कांग्रेस ने बिगुल फूंक तो दिया, लेकिन आगे क्या?

कांग्रेस का अधिवेशन खत्म होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने अमदाबाद की सड़कों पर लगे राहुल गांधी के बड़े-बड़े होर्डिंग्स को उखाड़ फेंकने का पराक्रम दिखाया। मोदी-शाह को उन्हीं की जमीन पर जाकर चुनौती देने की ये कोशिश अच्छी है, लेकिन क्या इससे वाकई भारत में राजनीतिक क्रांति होगी?

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Apr 12, 2025 10:19
Congress Plenary Session 2025
Congress Plenary Session 2025

मोदी-शाह के गुजरात में कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न हुआ। यह विशेष महत्व की बात है कि कांग्रेस ने अमदाबाद में अपना अधिवेशन आयोजित किया और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। विपक्ष की आवाज को दबाने का एक भी मौका न छोड़ने वाले मोदी-शाह को गुजरात की धरती से उन पर हमले झेलने पड़े। कांग्रेस नेताओं ने महात्मा गांधी और सरदार पटेल का अभिवादन किया। पटेल की भव्य प्रतिमा के पास जाकर अभिवादन किया। वह साबरमती आश्रम गए और गांधीवादी विचारों से बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी साबरमती और पटेल की प्रतिमा की तरफ तभी फटकते हैं, जब वे विदेशी मेहमानों को गुजरात दौरे पर लाते हैं। ‘देश आर्थिक संकट में आ रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कहां छुपे हुए हैं?’ वह 56 इंच का सीना कहां गया?’ ऐसे तीखे बाण राहुल गांधी ने गुजरात की धरती से छोड़े हैं। गांधी सीधा हमला करते हैं। वे परिणामों की परवाह नहीं करते।

चुनाव आयोग गुलामी कर रहा

भाजपाई भले ही सोचते हो कि मोदी अवतारी पुरुष हैं, लेकिन असल में वे कोई नहीं हैं। मतदाता सूची में घोटाला, ईवीएम में गड़बड़ी कर वे सत्ता में आए। गांधी ने कहा कि भाजपा और उसके लोगों ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में हेराफेरी की, लेकिन मोदी-शाह का राज बच गया क्योंकि चुनाव आयोग गुलामी कर रहा था। भाजपा के रथ को रोकने और चुनावी सफलता हासिल करने के लिए कांग्रेस अब से पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और आदिवासी समुदायों पर ध्यान केंद्रित करेगी। गांधी ने गुजरात की धरती से मोदी-शाह की नींद उड़ा दी।

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मोदी को जनता के मुद्दों पर नींद नहीं आती

मोदी 18 से 20 घंटे काम करते हैं। उन्हें देश और जनता के मुद्दों पर नींद नहीं आती, लेकिन गांधी और उनकी कांग्रेस ने अपनी फौज लेकर गुजरात में प्रवेश किया और भविष्य की दिशा तय कर दी। इसलिए मोदी की नींद उड़ गई उनको कुछ समय परेशान रहना होगा। कांग्रेस का अधिवेशन खत्म होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने अमदाबाद की सड़कों पर लगे राहुल गांधी के बड़े-बड़े होर्डिंग्स को उखाड़ फेंकने का पराक्रम दिखाया। मोदी-शाह को उन्हीं की जमीन पर जाकर चुनौती देने की ये कोशिश अच्छी है, लेकिन क्या इससे वाकई भारत में राजनीतिक क्रांति होगी? 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं। इंडिया गठबंधन ने मोदी को 240 पर रोका, लेकिन इंडिया गठबंधन सत्ता हासिल नहीं कर पाई। जिस गुजरात की जमीन से कांग्रेस ने मोदी को चुनौती दी, उस राज्य में कांग्रेस लोकसभा में एक भी सीट नहीं जीत सकी।

कांग्रेस को कड़ी मेहनत करने की जरूरत

कांग्रेस को मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश में भी कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। महाराष्ट्र में लोकसभा में तो सफलता मिली लेकिन विधानसभा में बड़ी असफलता हाथ लगी। इसके लिए जितने भाजपा के घोटाले जिम्मेदार हैं, उतने ही कांग्रेस के अंदर के कुछ मुद्दे भी जिम्मेदार हैं। इस पर मंथन होना चाहिए। लोकसभा नतीजे के बाद ‘इंडिया गठबंधन कहां है?’ ऐसे सवाल पूछे जाते हैं। कांग्रेस के लिए गुजरात के अधिवेशन से उन सवालों का जवाब देना जरूरी था। इंडिया गठबंधन का क्या हुआ? क्या उसे जमीन निगल गई या हवा में बिखर गया? वास्तव में क्या हुआ? इनका जवाब देना कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी है। कांग्रेस को खुद को मजबूत करना चाहिए। लेकिन भारतीय जनता पार्टी खुद को मजबूत करते-करते अपने ही सहयोगियों, क्षेत्रीय दलों का ग्रास निगल जाती है। बेशक आज की मोदी सरकार आखिरकार क्षेत्रीय दलों की बैसाखियों पर टिकी हुई है इसे कांग्रेस को गंभीरता से देखना चाहिए। गुजरात के अधिवेशन में कांग्रेस ने अपने बारे में सोचा और भूमिका की बात की। उसमें ‘इंडिया’ या ‘भारत’ नहीं दिखता।

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दिल्ली चुनाव में ‘एकता’ होती तो बेहतर होता

तानाशाही के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना जरूरी है और इसके लिए कांग्रेस को आगे आना होगा। दिल्ली में केजरीवाल की हार के बाद उसके नेताओं को यह महसूस होना स्वाभाविक है कि कांग्रेस के लिए मैदान साफ ​​हो गया है। अगर वे कई राज्यों में मैदान साफ करने की तकनीक अपनाने जा रहे हैं तो यह कहा जाना चाहिए कि वे मोदी-शाह की सेवा कर रहे हैं। बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की क्या भूमिका होगी? या फिर एक बार फिर हार का स्वागत करेंगे? दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘एकता’ होती तो बेहतर होता। केजरीवाल मोदी प्रवृत्ति से लड़ रहे थे। इसलिए मतभेद भुलाकर फैसला लेने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया उसका नतीजा विधानसभा में देखने को मिला। हमें मोदी-शाह की भाजपा को हराना है, अपने खेमे के मित्रों को नहीं।

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कांग्रेस ने गुजरात जाकर झाड़ हिला दिया

भाजपा के लोग कहते हैं, ‘मोदी 2029 तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे।’ मोदी की उम्र आज 74 साल है। यानी मोदी कुर्सी पर अमर जड़ी खाकर ही बैठे हैं। वह अमर जड़ी का वृक्ष गुजरात में है। कांग्रेस ने गुजरात जाकर उस झाड़ को हिला दिया। अगर इस पेड़ को उखाड़ना है तो मदद के लिए कई हाथों की जरूरत पड़ेगी। गुजरात अधिवेशन में इस पर और अधिक विचार करना जरूरी था। कांग्रेस ने अपने पुराने महल के नेपथ्य में भाषण दिए। महल चला गया है। इसे बनाने की ताकत पैदा करनी होगी। हमें पुराने दौर से बाहर आकर नई सोच देनी होगी। गुजरात की धरती से कांग्रेस ने बिगुल फूंक तो दिया, लेकिन आगे क्या?

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Rakesh Choudhary

First published on: Apr 12, 2025 10:19 AM

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