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क्या INDIA गठबंधन में सब सही है? बिहार CM नीतीश कुमार को इतनी चिंता क्यों सता रही?

Nitish Kumar Concerned On India Alliance : इंडिया गठबन्धन पर नीतीश कुमार ने चिंता जताई है। नीतीश कुमार का कहना है कि हम राजनीति में हैं और यदि हमें दिल्ली की सत्ता का आधार मजबूत करना है तो हमें मिलकर सभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतना होगा।

Edited By : Pratyaksh Mishra | Updated: Nov 6, 2023 17:39
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jdu leader attended meeting of maha vikas aghadi in maharashtra
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

Nitish Kumar Concerned On India Alliance : क्या इन दिनों इंडिया गठबंधन में सब सही चल रहा है? इसे लेकर कई लोग चिंतन और मंथन करने लगे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन के जन्म के बाद से ही भाजपा की नींद उड़ गई और उसने भी अपने ‘एनडीए’ पर पड़ी हुई धूल को तुरंत झाड़ दिया। ‘इंडिया’ का झटका ऐसा लगा कि मोदी और उनके लोगों ने ‘इंडिया’ नाम पर अघोषित बंदी लगा दी।

‘इंडिया’ गठबंधन में मथन शुरू

इसका अर्थ यह है कि सत्ताधारी दल में ‘इंडिया’ पर चिंतन और मंथन शुरू हो गया है। यह ‘इंडिया’ की प्राथमिक सफलता है, लेकिन इंडिया गठबंधन के कुछ साथियों के चिंतित होने की वजह से इस पर मंथन करना जरूरी हो गया है। जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘इंडिया’ पर टिप्पणी की। अब्दुल्ला ने कहा कि ‘इंडिया गठबंधन की स्थिति अभी मजबूत नहीं है। कुछ अंदरूनी कलह है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो इस तरह के मतभेद नहीं होने चाहिए।’ उत्तर प्रदेश विधानसभा की सभी सीटों पर लड़ने की घोषणा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने की।

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अब्दुल्ला ने कहा कि यह इंडिया गठबंधन के लिए अच्छा नहीं है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने ‘सपा’ को साथ नहीं रखा, ‘आप’ भी स्वतंत्र रूप से मैदान में है। यह सब सच है, लेकिन चिंताजनक नहीं। ‘इंडिया’ गठबंधन की स्थापना दिल्ली में तानाशाही शासन को उखाड़ फेंकने के लिए की गई थी और इसी पर सभी एकमत हैं। राज्यों की स्थिति और राजनीति अलग-अलग होती है और उन्हीं के अनुसार उस राज्य की प्रमुख पार्टियों को निर्णय लेने होते हैं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मुख्य पार्टी कांग्रेस है और बाकी पार्टियां वहां दूसरे नंबर पर हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से है, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस बढ़त के साथ आगे आएगी, यह दिखाई दे रहा है। तेलंगाना में सत्ता परिवर्तन होगा, ऐसी साफ तस्वीर है।

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लोकतंत्र बचाने का आखिरी मौका

वहीं बसपा सुप्रीमों मायावती ने मध्य प्रदेश में अपना हाथी घुसाया है तो बस कांग्रेस को कमजोर करने के लिए। कुछ छोटी-मोटी घटनाओं को छोड़ दें तो पांच राज्यों में ‘इंडिया’ गठबंधन को चिंता करने जैसी कोई बात नजर नहीं आ रही है। पांच राज्यों के चुनाव आगामी लोकसभा की रंगारंग रिहर्सल है इसलिए अगर इस चुनाव में कांग्रेस ने राहुल-प्रियंका गांधी को झोंक दिया है तो यह सही फैसला है। उलटे भाजपा की हार के लिए इन राज्यों में ‘इंडिया’ के सभी घटकों को योगदान देना ही चाहिए। लोकतंत्र बचाने का यह सबके पास आखिरी मौका है, लेकिन नीतीश कुमार की चिंताएं थोड़ी अलग हैं। नीतीश कहते हैं कि ‘कांग्रेस को ‘इंडिया’ से ज्यादा चुनाव में दिलचस्पी है।’ नीतीश की बातें गलत नहीं हैं, लेकिन उन्हें हकीकत से इंकार नहीं करना चाहिए।

नीतीश कुमार की चिंता जायज

‘इंडिया’ गठबंधन के सभी दलों को चुनाव में ही दिलचस्पी होनी चाहिए। हम राजनीति में हैं और यदि हमें दिल्ली की सत्ता का आधार मजबूत करना है तो हमें विधानसभा चुनाव जीतना होगा और सभी पांच राज्यों पर कब्जा जमाना होगा। नीतीश कुमार को अफसोस इस बात का है कि ‘इंडिया’ गठबंधन की गतिविधियां रुक गई हैं और इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।

पांच राज्यों के चुनाव जीतने में उन्हें रुचि है। उन्हें विपक्षी मोर्चे को आगे ले जाने की चिंता नहीं हैं। नीतीश कुमार की चिंता और अफसोस गलत नहीं है, इस पर ‘इंडिया’ को एक साथ प्रतिक्रिया देनी चाहिए। सार्वजनिक रूप से मत व्यक्त कर भाजपा को गुदगुदाइए नहीं। कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन का एक बड़ा दल है, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन में विविध विचारों के दल एक साथ आए हैं। इसमें शिवसेना जैसा हिंदुत्ववादी दल भी शामिल है इसलिए ‘इंडिया’ समावेशी है। यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के सीट आवंटन और अन्य मतभेदों को सुलझाने के लिए निचले स्तर पर समन्वय समितियों का सहारा लिया जाए और राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र समिति काम करेगी।

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चुनावों से ग्रस्त है लोकतंत्र

सभी दल चुनाव में अपना अस्तित्व दिखाना चाहते हैं। विधानसभा, स्थानीय स्वराज्य संस्था स्तर पर ‘इंडिया’ का एकत्रित होना उन राज्यों की परिस्थिति और दलों की ताकत पर निर्भर होगा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान भ्रष्ट, मनमाने, तानाशाही शासन को परास्त करने के लिए ‘इंडिया’ मजबूती के साथ खड़ा है। नीतीश कुमार कहते हैं, कांग्रेस को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है। ऐसी दिलचस्पी अपने देश में किसे नहीं है? हमारा लोकतंत्र चुनावों से ग्रस्त है। इसलिए हमारे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री रक्षामंत्री देश के मुद्दों को मणिपुर की आग में डालकर जब देखो तब चुनाव प्रचार में लगे रहते हैं। ‘इंडिया’ के घटक दलों को भी आनेवाले कुछ-कुछ समय तक यही नीति अपनानी चाहिए। यदि चुनाव नहीं लड़ना है और दृढ़ता से जीतना नहीं चाहते तो एक साथ आने का क्या मतलब?

सत्ता का दुरुपयोग

नीतीश कुमार का कहना है कि मोदी-शाह की तानाशाही विपक्ष पर अत्याचार कर रही है। ‘ईडी’ छापे मारकर भाजपा विरोधियों को जेल में डाल रही है। लोगों द्वारा चुने गए मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों को गिरफ्तार कर रहे हैं और यह सभी कार्रवाई एकतरफा हो रही है। सत्ता का दुरुपयोग और पैसे की मदमस्ती पर अंकुश लगाकर देश में लोकतंत्र की पुर्नस्थापना करनी होगी और इसके लिए पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल करनी होगी। यह ‘इंडिया’ गठबंधन की मजबूती के लिए अहम होगा। नीतीश कुमार की चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। ‘इंडिया’ गठबंधन का बीज उन्होंने ही बोया है। उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर-लद्दाख की सभी सीटें जीतने का बीड़ा उठाना चाहिए।

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Written By

Pratyaksh Mishra

First published on: Nov 06, 2023 05:27 PM

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