---विज्ञापन---

भविष्य का भारत: सुखी, विकसित और अगले 50 साल तक युवाओं का देश बना रहेगा भारत

Independence Day: आजादी के अमृत महोत्सव के अमृत काल के बीच इस बार ‘Nation First-Always First’ के थीम पर 15 अगस्त यानी आजादी का जश्न धूमधाम से मनाया जा रहा है। देश आजादी के 77वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। भारत दुनिया के नक्शे पर सबसे तेज गति से प्रगति कर रहा है। दुनिया […]

Edited By : Kumar Gaurav | Updated: Aug 14, 2023 20:30
Share :

Independence Day: आजादी के अमृत महोत्सव के अमृत काल के बीच इस बार ‘Nation First-Always First’ के थीम पर 15 अगस्त यानी आजादी का जश्न धूमधाम से मनाया जा रहा है। देश आजादी के 77वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। भारत दुनिया के नक्शे पर सबसे तेज गति से प्रगति कर रहा है। दुनिया की तमाम समस्याओं पर अब भारत के सोच की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंतजार और फिर सराहना हो रही है। भारत भी वसुधैव कुटुम्बकम् की अपने पुरातन संस्कृति को समेटे, दुनिया की तरक्की के दो कदम आगे पहुंचने का प्रयास कर रहा है।

समृद्धि का इंडिकेटर है जन्म दर कम और जनसंख्या अधिक होना

इस बीच 140 करोड़ की जनसंख्या के साथ, भारत दुनिया के सबसे बड़े आबादी वाला देश भी बन गया है। चीन भी जनसंख्या के मामले में अब भारत से पीछे है। आबादी बढ़ने के वाबजूद नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, भारत के सभी धार्मिक समूहों में प्रजनन दर कम हो रही है। हिंदू भारत की आबादी का करीब 80% हिस्सा हैं और इस धार्मिक समूह में प्रजनन दर प्रति महिला 1.9 जन्म है, जबकि 1992 में ये प्रति महिला 3.3 जन्म थी। 1992 से 2019 के बीच प्रति महिला 1.4 बच्चों की कमी आई।

ये समृद्धि का एक इंडिकेटर भी है, क्योंकि जन्म दर कम है और जनसंख्या बढ़ी है,इसका मतलब है भारत में जीवन का दर बढ़ा, लोग लंबी आयु तक जी रहे हैं। स्वास्थ्य राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के मुताबिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी, सजग और बेहतर लाइफ स्टाइल अपनाने की वजह से भारत में मृत्यु दर में कमी आई है। बड़ी आबादी को किसी भी देश के लिए बोझ माना जाता है लेकिन भारत के लिए समृद्धि की वजह बन रहा है। क्योंकि भारत एक युवा देश है और अगले 50 सालों तक ऐसा ही बना रहेगा। 25 साल से कम उम्र के लोग कुल आबादी का 40% हैं। इस उम्र के लोग वर्क फोर्स होते है यानी काम करने वाले युवा होते है जो देश की तरक्की में योगदान देते हों। इसी वजह से युवा भारत समृद्धि की नई कहानी लिख रहा है।

आबादी और चुनौती

भारत के सामने सबसे बड़ी आबादी के देश वाला खिताब भविष्य में थोड़ी चुनौतियां भी लेकर आया है। ऐसे में भविष्य का भारत कैसा हो, इसके परिकल्पना के आधार पर देश में तरह तरह के नवाचार हो रहे हैं। इससे हर वर्ग, हर क्षेत्र की प्रोडक्टिव्टी बढ़ाने पर जोड़ दिया जा रहा है, ताकि देश का इतना सामर्थ्य हो कि सबसे बड़ी आबादी को संभालकर रोटी, कपड़ा मकान जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध हो सके।

डेमोग्राफिक और सोशल-इकनॉमिक संकेतक बताते हैं भविष्य भारत का है

भारत का भविष्य कैसा होगा इसका अंदाजा डेमोग्राफिक और सोशल-इकनॉमिक संकेतकों से लगाया जा सकता है। भविष्य की परिकल्पना के आधार पर देश के तरक्की की कहानी लिखने की तैयारी की जा रही है। सरकार का हर विजन, हर काम, हर सोच अगले 25 साल के भविष्य के भारत की कल्पना और चेलेंज के आधार पर तय किए जा रहे हैं। वर्तमान भारत किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज हम बड़े–बड़े देशों को एक छोटी सी सुई से लेकर मिसाइल तक सप्लाई
कर रहा है। भारत सभी देशों से कदम से कदम मिला कर खड़ा है। भारत की स्थिति आज ये है कि कोरोना काल में अमेरिका जैसे संपन्न देशों को पैरासिटमोल जैसे साधारण दवाई के लिए भारत के सामने हाथ फैलाना पड़ा और भारत ने इसे समय रहते पूरा किया। दुनिया के तमाम देशों को भारत में कोरोना का टीका उपलब्ध करा कर कई देशों के नागरिकों की जान भी बचाई। आज के भारत को जानने के लिए कोरोना काल में उसके द्वारा किए गए काम को जान लेना ही काफी है।

खैर आगे बढ़ते हुए ये बताना जरूरी है कि देश आज इस स्थिति में है लेकिन इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ इसको इतना सक्षम बनाना आसान नहीं था। भारत के मुकाबले अमेरिका,इंग्लैंड की आबादी काफी कम है। ये देश इसीलिए इतने सक्षम है। परंतु हम गुलामी के 200 सालों के आजादी बाद भी इनसे आबादी में ज्यादा होकर भी आज इनके बराबर पहुंच रहे हैं। हमने खुद को सक्षम करने के लिए कठिन परिश्रम किया है। इसका श्रेय देश की सत्ता में रहे लोगों की दूरदर्शिता और उसके द्वारा बनाई गई नीतियों भी है। देश को आगे बढ़ाने में सबसे ज्यादा फायदेमंद रहा है हमारा व्यापार जो हम बाहर के देशों के साथ करते है।

भारत का सपना और भविष्य का रास्ता

भारत भविष्य का रास्ता कैसे तय करेगा ,इसकी पहचान तय की गई है। सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने की वजह से प्राकृतिक संसाधनों पर काफी दवाब बढ़ा है।इन प्राकृतिक संसाधनों में ज़मीन, पानी, जंगल और खनिज शामिल है. जनसंख्या के बढ़ने की वजह से इन संसाधनों का ज़रुरत से ज़्यादा इस्तेमाल होता है। नतीजतन कृषि उत्पादकता और पानी की कमी के साथ पर्यावरण में गिरावट होने की सम्भावना बढ़ जाती है। बढ़ती आबादी के कारण आवास, परिवहन, स्वास्थ्य और शिक्षण सुविधाओं से जुड़े बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की ज़रूरत भी बढ़ गई है। एक बहुत बड़ी आबादी की ज़रूरतों को पूरा करना एक मुश्किल काम बन जाता है और आबादी का एक बड़ा हिस्सा बदहाल हालात में जीने के लिए मजबूर हो सकता है। यही भारत के सामने बड़ी चुनौती है। इसका दूसरा पहलू भी है, और भारत ने दूसरे सकारात्मक पहलू को अपनाया है।बड़ी आबादी की वजह से काम करने की क्षमता रखने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या भी खड़ी हो जाती है।इस बड़ी संख्या को रोज़गार उपलब्ध करवाना एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरता है।

बेरोजगारी से कैसे निपटेगा भारत

आज की तारीख़ में भी भारत में बेरोज़गारी एक ज्वलंत समस्या है। लगातार बढ़ रही जनसंख्या की वजह से ये समस्या भविष्य में एक विकराल रूप ले सकती है। रोज़गार की कमी आर्थिक असमानता, ग़रीबी को बढ़ाने का काम कर सकते हैं जिससे सामाजिक अशांति फ़ैल सकती है। इन सब चीजों को ध्यान में रखकर भारत अपने भविष्य की बुनियाद रख रहा है।

एक तरफ हमारे सामने बड़ी आबादी है तो दूसरी तरफ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भी है। भारत अपने इतिहास में एक रोमांचक, लेकिन विशिष्ट रूप से चुनौतीपूर्ण चरण में प्रवेश कर रहा है। भविष्य के भारत का जड़ मजबूत हो, इसके लिए भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर जो की रोजगार और कमाई का मुख्य साधन होता है, उसमें भारत हर साल खर्च बढ़ा रहा है। बुनियादी ढांचे में भारत अपनी जीडीपी का 3.3 फीसदी निवेश कर रहा है। हर साल ये बढ़ाया जा रहा है। दस लाख करोड़ से अधिक इस क्षेत्र में भारत 2023-24 में इन्वेस्ट करेगा ये भी तय किया गया है। आने वाले सालों में भारत इसी रफ्तार से इस सेक्टर में इन्वेस्टमेंट करता रहेगा।

2060 तक अमेरिका के बराबर होगा भारत का जीडीपी

इस मजबूत स्तंभ की वजह से भारत 2030 की शुरुआत में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और इस रफ्तार के लिहाज से 2060 तक भारत की जीडीपी अमेरिका की जीडीपी से अधिक होगी।

तरक्की की रफ्तार और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए भारत के पांच प्रण

भविष्य को मजबूत करने के लिए देश का आत्मनिर्भर देश बनाना जरूरी है। हम जब अपनी जरूरत आयात से पूरा करने के लिए मजबूर न हों और निर्यात में आगे बढ़े तभी विकसित भारत की कल्पना की जा सकती है। भारत इसी लाइन पर आगे बढ़ा है। आत्मनिर्भर बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है क्लीन इकोनॉमी यानी काला धन का फ्लो देश के मार्केट में न हो। एक तरफ भारत आत्मनिर्भर भारत की योजना से देश के सभी जिलों से जोड़ रहा है। एक डिस्ट्रिक्ट एक प्रोडिक्ट के थीम पर काम कर रहा है, वही काला धन को सिस्टम से निकालने के लिए नोटबंदी जैसा कड़ा फैसला भी ले रहा है, ताकि साफ सुथरा अर्थव्यवस्था के सपने को साकार किया जा सके ।

आम आदमी की आमदनी 12 हजार डॉलर करने का सपना

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण हर व्यक्ति के आमदनी होगी। सरकार का लक्ष्य आने वाले सालों में प्रति व्यक्ति सलाना आय12 हजार डालर करने की है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए तेज आर्थिक विकास दर चाहिए। भारत उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

मैन्यूफैक्चरिंग, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, ह्यूमन रिसोर्स में इन्वेस्टमेंट भारत को बनाएगा विश्वगुरु

मैन्यूफैक्चरिंग में भारत में निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। जीडीपी का 16-17 फीसदी इस सेक्टर में निवेश किया जा रहा ताकि भारत की 20 से 30 फीसदी आबादी को इससे रोजगार के बेहतर मौके मिल सके। इसको बढ़ाने के लिए सरकार ने लगभग सभी महत्वपूर्ण सेक्टर में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम की घोषणा भी की है। जिससे इस सेक्टर में उत्साह बना रहे इससे भारत महत्वपूर्ण टेक्नोलाजी के मामले में आत्मनिर्भर बन जायेगा और मैन्यूफैक्चरिंग हब भी बन सकेंगे।

भविष्य के भारत में ईज आफ डूइंग बिजनेस की नई प्रक्रिया जो शुरू की थी उसके काफी सफल परिणाम भी मिले है। बिबेक देबराय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन के मुताबिक किसी देश की तरक्की में कारोबारी सुगमता यानी ईज आफ डूइंग बिजनेस का बड़ा महत्व होता है । इस मामले में भारत ने काफी कम समय काफी बेहतरी हासिल किया है। विश्‍व बैंक की ईज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत 2014 की 142वीं रैंकिंग से 2020 में 63वीं रैंकिंग पर पहुंच गया। इसमें आने वाले समय में और सुधार होंगे और विदेशी इन्वेस्टमेंट के लिए ये महत्वपूर्ण इंडिकेटर होता है।

व्यापार आमदनी का सबसे बड़ा साधन होता है, भारत का सबसे अधिक खर्च डिफेंस से जुड़े समान खरीदने पर होती थी, लेकिन अब भारत में हथियारों का उत्पादन हो रहा है ,हमारे इस्तेमाल से अधिक को निर्माण हो रहा है और भारत अब बड़ी मात्रा में मशीन,मिसाइलें बनाकर अन्य देशों को दे रहा है। इस क्षेत्र में तरक्की से भारत का पैसा बच तो रहा ही है एक्सपोर्ट के जरिए आमदनी भी हो रही है। ।

भविष्य के तरक्की के लिए भारत डिजिटल युग में प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए एक केंद्र बना रहा है। इसका उद्देश्य अनुसंधान और विकास में भारी निवेश करना, उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना और स्टार्टअप और तकनीकी कंपनियों का समर्थन करना है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और नवीकरणीय ऊर्जा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर, देश का उद्देश्य अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना है। भारत का लक्ष्य अगले पांच साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है और अगले 15 साल में विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी के शामिल होगा।

इन तमाम चुनतियो को देखते हुए भारत एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक अच्छी तरह से शिक्षित और कुशल कार्यबल के महत्व को पहचान चुका है। इसी वजह से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी शिक्षा प्रणाली को सुधारने के काम में जुटा हुआ है।

तरक्की का मतलब रफ्तार होता है, आने वाले वर्षों में देश के हर आदमी की तक सरकार ब्रॉडबैंड हाईवे, मोबाइल कनेक्टिविटी ,पब्लिक इंटरनेट एक्सेस ए,ई-गवर्नेंस की सुविधा देकर प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार का लक्ष्य है वही ई-क्रांति यानी सभी नागरिक सेवाओं की इलेक्ट्रानिक डिलीवरी, सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नौकरियों के लिए आईटी और अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम की जानकारी समय से पहले मिले इन सब को सुनिश्चित करेगा।

आम आदमी को सुविधा- देश आधुनिक बुनियादी ढांचे और टिकाऊ शहरी नियोजन में लगातार निवेश कर रहा है। इसके जरिए परिवहन नेटवर्क में सुधार, स्मार्ट शहरों का विकास और हरित निर्माण प्रथाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस तरह की पहल से नागरिकों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से बीस साल बाद का भारत कैसा होगा

भारत की विकास की दर सालाना कम से कम 6 फीसदी की होगी। इस लिहाज से अगले 20 साल में भारत की अर्थव्यवस्था 12 ट्रिलियन डॉलर तक आसानी से पहुंच जायेगी। इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था के आधार पर,वर्तमान में देश के लोगों की औसत कमाई प्रतिव्यक्ति 2 लाख के करीब है,अगले बीस सालों में 6 फ़ीसदी के लिहाज से अगर आंकड़ों को जोड़ा जाए तो प्रति व्यक्ति आय 6 लाख के आस पास तक होगी।

सेंसेक्स दो लाख के पार

अर्थव्यवस्था अगर पटरी पर रही और सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया समेत तमाम योजनाएं अगर सफलता पूर्वक चलती है तो सेंसेक्स अगले 20 साल में दो लाख के आकड़े तक पहुंच जाएगी। साल 2,000 में सेंसेक्स का एवरेज क्लोजिंग पॉइंट 3,972 था। 2023 में 61,000 अंक से अधिक रह सकता है। अगर मार्केट इसी तरह से बढ़ता रहा तो अभी के आंकड़े के हिसाब से ये 20 साल में 2 लाख के लेवल को पार कर जाएगा।

भारत धीरे धीरे और समृद्धि की तरफ बढ़ेगा सुख सुविधा से जुड़ी चीजों में अब भारतीय ज्यादा खर्च कर रहा है और इस ट्रेंड के मुताबिक भारत में कारो की बिक्री 2023 में 45.3 लाख के स्तर पर रहेगी और बीस साल बाद करीब ,हर साल 80 लाख कर भारत में खरीदा जायेगा।

हर हाथ में मोबाइल

वही मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी भारत में बढ़ेगा,अभी 85 फीसदी भारतीय एक या उससे अधिक फोन का इस्तेमाल करता है,इस लिहाज से अगले बीस साल में भारत के हर व्यक्ति के पास एक फोन होगा। हवाई चप्पल वाला करेगा हवाई यात्रा,का सपना देखने वाले भारत में हवाई यात्रा के आंकड़े इस साल 24 करोड़ की है जो कि बीस साल बाद बढ़कर 48 करोड़ सलाना हो जायेगी। भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। अगले बीस साल में देश की आधी आबादी शहरों में निवास करेगी।जबकि साल 2000 में सिर्फ तीस फीसदी आबादी शहर में रहती थी।

70 फीसदी लोगों के पास होगा रोजगार

आर्थिक विकास की दर अगर सही सलामत रही तो अगले बीस साल में भारत के 70 फीसदी आबादी किसी न किसी तरह के रोजगार में होगा और बेहतर जीवन जी सकेगा। टेक्नोलोजी घर – घर में पहुंच जाएगी। ज्यादातर काम घर बैठे आसानी से हो जायेंगे। देश के साथ–साथ देश के नागरिकों को भी पूरी सुरक्षा मिलेगी। देश की गरीबी और महंगाई कम होगी।

दस समस्याएं हीं बनेगी भारत की ताकत

भारत आने वाले सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तकनीक का उपयोग उद्योग, मेडिसिन, शिक्षा, खेती जैसे क्षेत्रों में करके इसको कॉस्ट इफेक्टिव बनाएगा, जिससे इस तकनीक का उपयोग आम लोगों की बेहतरी के लिए किया जा सकता है। सरकार अभी एआई के जरिए समाधान निकाले जाने वाली 10 समस्याओं की पहचान करने का पायलट प्रोजेक्ट चला रही है। विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने के नजरिए से भारत को दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है। इसके लिए भारत सरकार “क्‍वालिटी में जीरो कॉम्‍प्रमाइज” की नीति को अपना रही है। इसके लिए तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है।

तकनीक की मदद से प्रोडक्‍शन में बहुत बारीकियों का ख्याल रखा जा सकता है, जिससे ग्लोबल मार्केट के हिसाब का उच्च गणवत्ता वाले प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। ऐसी स्थति से ग्‍लोबल मार्केट में भारत कब्जे की तैयारी कर रहा हैं । किसी भी देश की तरक्की का माध्यम उसका व्यापार होता है। इसी नब्ज को भारत अब पकड़ने में कामयाब हो गया है और उसके तरक्की के सपने का भी आधार यही है।

तकनीक से लैस होगा पूरा भारत और उसके नागरिक

भारत का भविष्य आज से कई पहलुओं से काफी विकसित होगा। तकनीक की उन्नति, शिक्षा, आर्थिक विकास, और सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में सुधार, देश की प्रगति को नई दिशा देगा। सशक्त नागरिक, यानी आत्मनिर्भर व्यक्ति देश के समृद्धि के मुख्य कारक होंगे। भारत दुनिया के विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में मदद भी करेगा जैसे कि जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संसाधनों की व्यवस्था, और बेरोजगारी की समस्या।

भविष्य में भारत विज्ञान और तकनीक में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भी जाना जायेगा। इसकी बुनियाद पड़ चुकी है। भारत में नए उपकरणों और तकनीकों का निर्माण चल रहा है। वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में भारत में जो निवेश हो रहा है, इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का समाधान निकाला जा सकेगा। सामाजिक दृष्टि से, भविष्य के भारत में जाति, लिंग, और धर्म के आधार पर भेदभाव की समस्या कम होगी। समाज में समान अवसरों का निर्माण होने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।

महिलाओं के अधिकारों का पालन और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार भी देखा जाएगा। इसके लिए बड़े स्तर पर कानून में सुधार की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी भविष्य में सुधार होगा,जिससे हर बच्चे को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सकेगी, इससे समाज में ज्ञान की समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। भविष्य के भारत में सशक्त और समृद्ध समाज का निर्माण संभव होगा, जो ग्लोबल मंच पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

<>

First published on: Aug 14, 2023 03:24 PM
संबंधित खबरें