टेक इंडस्ट्री में वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बहस हमेशा से चलती आ रही है। हाल ही में गूगल की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनु शर्मा ने एक पोस्ट के जरिए इस बहस को फिर से हवा दे दी। रविवार को प्रोडक्शन इश्यू सुलझाने में चार घंटे बिताने के बाद उन्होंने बताया कि बड़ी कंपनियों में ऑन-कॉल रहना स्टार्टअप्स से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है। उनकी इस ईमानदार राय ने सोशल मीडिया पर जोरदार चर्चा छेड़ दी।
रविवार को चार घंटे की मशक्कत
अनु शर्मा ने 27 अप्रैल को X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “रविवार को पिछले चार घंटे एक प्रोडक्शन इश्यू पर बिताए। FAANG कंपनी में ऑन-कॉल रहना स्टार्टअप्स से ज्यादा मुश्किल है और इसका असर भी बड़ा होता है। यकीन मानिए, आपको आपके वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए पैसे नहीं मिलते।” आपको बताते चलें की FAANG का मतलब है फेसबुक (अब मेटा), अमेजन, एप्पल, नेटफ्लिक्स और गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनियां।
सोशल मीडिया पर मच गया बवाल
अनु शर्मा की पोस्ट कुछ ही घंटों में वायरल हो गई। कई लोगों ने उनका समर्थन किया तो कईयों ने उन पर स्टार्टअप्स को नीचा दिखाने का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “गूगल जैसी कंपनी में 40 लाख से ज्यादा सैलरी मिलती है तो थोड़ा ऑन-कॉल काम कर भी लिया तो क्या हुआ? बाहर मजदूर धूप में काम करते हैं।” एक और यूजर ने तंज कसते हुए कहा, “तो अब एक ऑन-कॉल हैंडल कर लिया और खुद को स्टार्टअप वालों से बेहतर समझने लगीं?”
वर्क-लाइफ बैलेंस पर फिर छिड़ी बहस
कई यूजर्स ने इस पोस्ट को एक बड़े मुद्दे से जोड़ा। उन्होंने कहा कि टेक इंडस्ट्री में कर्मचारियों से हमेशा अधिक की उम्मीद की जाती है चाहे उनका निजी जीवन कितना भी प्रभावित क्यों न हो। वहीं कुछ लोगों ने समझाया कि IT सेक्टर में वर्क-लाइफ बैलेंस का मतलब यह नहीं कि सिर्फ 9 घंटे काम करना है, बल्कि यह दूसरे क्षेत्रों से तुलना करने पर नजर आता है।
Spent last 4 hours in a production issue on Sunday. Being on call in FAANG company is much tougher than startups, and the impact is bigger. Trust me, you don’t get paid for your work-life balance.
— Anu Sharma (@O_Anu_O) April 27, 2025
अनु शर्मा का साफ संदेश
अनु शर्मा ने अपने पोस्ट में साफ-साफ कहा कि बड़े ब्रांड के ग्लैमर के पीछे काफी तनाव और जिम्मेदारी भी छिपी होती है। उन्होंने उन लोगों की आंखें खोलने की कोशिश की जो सिर्फ ऊंची सैलरी और बड़े नाम को देखकर इस इंडस्ट्री में आते हैं, बिना इसकी चुनौतियों को समझे।