---विज्ञापन---

ताजा खबर

Akshaya Navami 2025: आंवला नवमी कब है, क्यों होती है आंवले के पेड़ की पूजा, जानिए पूजा विधि और महत्व

Akshaya Navami 2025: अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, यह पर्व कब है, इस दिन आंवले की पूजा क्यों की जाती है और इसकी पूजा विधि क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Shyamnandan Updated: Oct 14, 2025 14:08
akshay-navmi

Akshaya Navami 2025: अक्षय नवमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पुण्यदायक पर्व है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे पूजा करने व भोजन करने से जीवन के सभी दोष दूर होते हैं और अक्षय यानी काभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है। यह पर्व इस साल 31 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

क्यों की जाती है आंवला वृक्ष की पूजा?

भगवान विष्णु का वास: धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक मास की नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में वास करते हैं। इसलिए इस दिन इसकी पूजा करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है।

---विज्ञापन---

अमृत तुल्य महत्व: कहा जाता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष से अमृत की बूंदें गिरती हैं। इसके नीचे भोजन करने से बीमारियां दूर होती हैं और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

लक्ष्मी कथा से जुड़ा पर्व: एक कथा के अनुसार, मां लक्ष्मी ने आंवले को भगवान विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की थी और उसी पेड़ के नीचे अन्न तैयार कर ब्रह्मांड के पालनहारों को अर्पित किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: Chanakya Niti: यदि चाहते हैं सफलता, तो इन 6 गलतियों से बचें, वरना हो जाएंगे बर्बाद

अक्षय नवमी पर पूजा विधि

स्नान करें: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
संकल्प लें: आंवले के पेड़ के पास पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और पूजा का संकल्प लें।
जल और दूध अर्पित करें: वृक्ष की जड़ में जल व थोड़ा कच्चा दूध चढ़ाएं।
तिलक करें: हल्दी और कुमकुम से वृक्ष पर तिलक करें।
दीप जलाएं: पेड़ के नीचे घी का दीपक प्रज्वलित करें।
कलावा बांधें: पेड़ के चारों ओर लाल धागा (कलावा) 7, 9 या 11 बार बांधें।
परिक्रमा करें: सामर्थ्य अनुसार 7, 9 या 108 बार परिक्रमा करें।
भोजन और दान: वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों व ज़रूरतमंदों को भोजन कराएं, फिर स्वयं भी वहीं भोजन करें।
मंत्र जाप करें: ‘ॐ धात्र्यै नमः’ मंत्र का जाप करें।
दान करें: आंवला, पीले वस्त्र, हल्दी और गाय के घी का दान करना शुभ माना जाता है।

आंवले का वैज्ञानिक लाभ

आंवला न सिर्फ धार्मिक रूप से, बल्कि आयुर्वेद में भी अमृत के समान माना गया है। इसमें विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, त्वचा को चमकदार बनाता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले का सेवन करने से शरीर और मन दोनों की शुद्धि मानी जाती है।

ये भी पढ़ें: Hastrekha Prediction: हथेली पर इस तरह से करें पर्वतों की पहचान और खुद से जानें अपना भाग्य

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Oct 14, 2025 02:08 PM

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.