वरुन सिन्हा
दिल्ली NCR में ठंड की वजह से लगातार लोगों को बेहद खराब हालातों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर वो लोग जो कही न कही ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर हैं. दिल्ली में ऐसे लोगों की संख्या हर दिन इसलिए भी बढ़ती जा रही है क्योंकि लोग यहां लगातार रोजगार की तलाश में आते हैं पर उनको कुछ काम नहीं मिल पाता जिसके चलते उनके हालात बिगड़ जाते हैं और उनको सड़कों पर अपनी रातें बिताना एक मजबूरी बन जाता है.
सरकारी रैन बसेरों की संख्या कम
हालांकि सरकार दावा करती है दिल्ली में रैन बसेरे ऐसे ही बेसहारा लोगों के लिए है पर असल में एक बड़ी संख्या है लोगों की जो रैन बसेरे में नहीं रह पाते क्योंकि इनका रैन बसेरा कम है. न्यूज 24 की टीम रात एक बजे हम ग्राउंड पर असल तस्वीर देखने पहुंचे तब देखा आखिर असली हालात क्या हैं. ऐसे ही ISBT बस अड्डे के पास हमने सबसे पहले वहां रैन बसेरे के हालात देखे. 18 बेड के ये रैन बसेरे में लोग मौजूद थे , मगर यहां के टायलेट पिछले दो महीने से खराब हैं हालांकि इसकी कंप्लेंट दिल्ली सरकार में की जा चुकी है पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया. अब जरा सोचिए कि यहां रहने वाले लोगों के पास शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है. वो कैसे इस ठंड के मौसम खुद को सम्भाल रहें हैं.
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खुले में सोने पर मजबूर
बस अड्डे पर फिरोजाबाद से आई रानी देवी , शोभा और लता अपने-अपने परिवार के साथ सड़क पर रहने पर मजबूर हैं और यही पर पेड़ के नीचे ही अपना बसेरा बनाया हुआ है. वो कहती है रैन बसेरे में एक बार गए थे पर वहां जगह ही नहीं मिलती और कई बार लोग भगा देते है. ठंड के कारण बहुत दिक्कत है पर क्या करें गरीबी है ऊपर से मजबूरी, तो हालात को समझ कर खुद को समझा लेते हैं.
मुख्यमंत्री कर चुकी है निरीक्षण पर हालात जस के तस
दिल्ली सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री खुद रैन बसेरों का निरीक्षण कर चुकी हैं, उसके बाद भी हालात जैसे के जैसे है, उनमें कोई बदलाव नहीं हैं. दिल्ली में आईएसबीटी बस अड्डा,एम्स,आईटीओ,लाजपत नगर, दरियागंज में हजारों लोग खुले आसमान के नीचे सोने पर मजबूर हैं पर इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
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