Wrestlers Case: देश की शीर्ष महिला पहलवानों की ओर से यौन उत्पीड़न और धमकी देने के आरोपों में घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण सिंह को लेकर दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा बयान जारी किया है। दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया है कि उन्होंने निर्देशों का पालन किया और जांच में सहयोग किया। साथ ही दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद को गिरफ्तार न करने का कारण भी बताया।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, बृज भूषण और डब्ल्यूएफआई के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर को गिरफ्तार किए बिना मुकदमे में आरोप पत्र दायर किया गया है। साथ ही कहा गया है कि उन्होंने जांच में शामिल होकर 41ए सीआरपीसी के तहत निर्देशों का पालन किया है।
इसलिए नहीं हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने यह भी कहा कि अब तक कॉल डेटा रिकॉर्ड के विश्लेषण से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है। पहलवानों के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद एफआईआर दर्ज करने वाली दिल्ली पुलिस ने अदालत के फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि 7 साल तक की सजा वाले अपराधों के मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता है।
इनके खिलाफ नहीं मिले सबूत
आरोप पत्र के अनुसार, डब्ल्यूएफआई स्टाफ (कार्यालय सहायक, कार्यालय कर्मचारी और अन्य) ने पहलवानों के बयानों की पुष्टि नहीं की। आरोप पत्र में कहा गया है कि पुलिस के बार-बार अनुरोध के बावजूद पहलवानों की ओर से धमकी भरी कॉल के संबंध में कोई सबूत नहीं दिया गया।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में क्या कहा?
साल 2019 की दो तस्वीरो को (जिनमें बृज भूषण को कजाकिस्तान में (एक) शिकायतकर्ता की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया है) को दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में मुख्य सबूत हैं। आरोप पत्र में पहलवानों द्वारा बृज भूषण द्वारा बार-बार यौन उत्पीड़न किए जाने का विवरण दिया गया है। 108 गवाहों में से 15 से पूछताछ की गई है और उन्होंने पहलवानों के बयानों की पुष्टि की है।
सीआरपीसी की धारा 41ए का किया जिक्र
आरोप पत्र में कहा गया है कि दोनों आरोपियों को बिना गिरफ्तारी के मुकदमे में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, क्योंकि उन्होंने जांच में शामिल होकर सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत निर्देशों का पालन किया है। कहा गया है कि जब्त और जमा किए गए डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फोरेंसिक जांच में अभी तक कुछ प्राप्त नहीं हुआ हैं।