Withdrawal of Canadian diplomats impact issuing of visas to Indians: कनाडा ने उन सभी खबरों पर अपनी चुप्पी साध रखी है, जिसमें भारत ने कनाडा से अपने राजनियक मिशन के कर्मियों को कम करने के लिए कहा है। हालांकि, विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर निजी तौर पर बातचीत करना चाहती है। बता दें कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का भारत पर आरोप लगाए जाने के बाद से दोनों देशों के संबंध तानवपूर्ण स्थिति में हैं। अभी कुछ दिन पहले भारत ने कनाडा से अपने राजनियकों वापस बुलाने के लिए कहा था। कहा जा रहा है कि भारत के इस कदम से कनाडा जाने वाले भारतीय को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कनाडा बड़ी संख्या में वीजा आवेदनों से निपटने के लिए नई दिल्ली, बेंगलुरु, चंडीगढ़ और मुंबई में वाणिज्य दूतावासों में एक बड़ी राजनयिक उपस्थिति रखता है। वहीं, भारत ने कनाडा की यात्रा करने वाले अपने नागरिकों से कहा कि कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों और राजनीतिक रूप से समर्थित हेट क्राइम चलते बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।
हम कनाडाई राजनयिकों की सुरक्षा को लेते हैं बहुत गंभीरता से
जबकि ट्रूडो ने मंगलवार को ओटावा में पत्रकारों के उस सवाल को टाल दिया जिसमें भारत ने कनाडा से अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने के लिए कहा था। हालांकि, विदेश मंत्री जोली ने कहा कि ओटावा इस मुद्दे पर नई दिल्ली के संपर्क में है। कनाडा की विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि हम कनाडाई राजनयिकों की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेते हैं और हम निजी तौर पर बातचीत करना जारी रखेंगे। क्योंकि हमारा मानना है कि राजनयिक बातचीत तब सबसे अच्छी होती है जब वे निजी रहती हैं।
230,000 भारतीय छात्र कनाडाई संस्थानों में पढ़ रहे
फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि भारत ने कनाडा से देश में मिशनों में तैनात 62 में से 41 राजनयिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था। इन रिपोर्टों के मद्देनजर भारत 10 अक्टूबर की समय सीमा के बाद देश में रहने वाले कुछ राजनयिकों की राजनयिक छूट को रद्द कर सकता है, कनाडाई पक्ष की ओर इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि क्या वह अपने अधिकारियों को बाहर निकाल रहा है या राजनयिकों की वापसी पर उसके ऊपर प्राभव पड़ेगा। बता दें कि भारत वर्तमान में कनाडा में विदेशी छात्रों का शीर्ष स्रोत है। 230,000 भारतीय छात्र कनाडाई संस्थानों में पढ़ रहे हैं। कनाडा के ओंटारियो प्रांत में कुछ शैक्षणिक संस्थान पूरी तरह से भारतीय छात्रों पर निर्भर हैं।