Lachit Barphukan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को करीब लाने का काम किया है। नए विकसित हवाई अड्डों और रेलवे लाइनों ने दूरी कम कर दी है और इस क्षेत्र को मुख्यधारा के राज्यों से जोड़ दिया है। गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने यह बात कही। वह लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती समारोह में लोगों को संबोधित कर रहे थे।
I appeal to all scholars & professors here to research, study & write about 30 empires that ruled for more than 150 years in any part of the country & 300 such great personalities who fought & sacrificed themselves for the nation's freedom: HM Amit Shah
— ANI (@ANI) November 24, 2022
आगे अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा मैंने हमेशा सुना है कि हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा और गलत तरीके से लिखा गया है। यह सच हो सकता है लेकिन अब हमें हमारे गौरवशाली इतिहास के बारे में लिखने से कौन रोक सकता है? केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम मैं यहां सभी विद्वानों और प्रोफेसरों से देश के किसी भी हिस्से में 150 से अधिक वर्षों तक शासन करने वाले 30 साम्राज्यों और 300 ऐसे महान व्यक्तित्वों के बारे में शोध, अध्ययन और लिखने की अपील करता हूं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए खुद को लड़ा और बलिदान दिया।
कौन थे लाचित बरफूकन
24 नवंबर, 1622 को लाचित बरफूकन का जन्म हुआ था। उनके पिता मोमाई तमुली बरबरुआ अहोम स्वर्गदेव (राजा) के सेनापति थे। लाचित कम उम्र से ही राजकीय कला, युद्ध कला और शास्त्रों के अध्ययन करने लगे थे। स्वर्गदेव चक्रध्वज सिंघा ने गुवाहाटी शहर को वापस लेने के लिए बड़ी सेना गठन किया था। जिसका जिम्मा लचित बरफाकुन को सौंपा गया था। जानकारी के मुताबिक लचित बरफुकन के सबसे प्रसिद्ध शब्द, ‘मेरे मामा मेरे देश से बड़े नहीं हैं’, जिसके कारण उन्होंने असमिया सेना की मुगल हमले को रोकने की तैयारी के दौरान गुवाहाटी में किलेबंदी के निर्माण में सुस्त पाए गए अपने मामा का सिर कलम कर दिया था। साल 1667 में उन्होंने गुवाहाटी पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया था और आक्रमणकारियों के साथ अपनी पुरानी सीमा स्थापित कर ली थी।