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कौन हैं हरिवंश नारायण सिंह? जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात

Deputy Chairman Harivansh Narayan singh: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अगले उपराष्ट्रपति के नाम पर चर्चा होने लगी। इसमें रेस में सबसे ऊपर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का नाम सबसे आगे था। मंगलवार को हरिवंश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करने राष्ट्रपति भवन पहुंच गए। इससे इनके रेस जीतने का दावा और तेज हो गया। विस्तार से जानते हैं कि कौन हैं राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह।

Author Written By: Raghav Tiwari Author Edited By : Raghav Tiwari Updated: Jul 22, 2025 18:27

Deputy Chairman Harivansh Narayan singh: मानसून सत्र के पहले दिन ही सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पद से इस्तीफा दे दिया। इससे राजनीति गलियारों से लेकर आम आदमियों तक चर्चा का बड़ा विषय बन गया। तब से ही नए उपराष्ट्रपति के नामों पर कयासों का दौर शुरू हो गया। चर्चा में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का नाम सबसे आगे माना जा रहा था। इसी चर्चा के बीच ठीक दूसरे दिन यानी मंगलवार को हरिवंश सिंह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इससे कयासों को हवा मिल गई।

राजनीति में कैसे की एंट्री?

साल 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने हरिवंश को पीएमओ से जुड़ने का प्रस्ताव दिया। तब वह अतिरिक्त सूचना सलाहकार (संयुक्त सचिव) के रूप में पीएमओ से जुड़े। चंद्रशेखर के प्रधानमंत्री का पद छोड़ते ही हरिवंश इस्तीफा देकर फिर पत्रकारिता में लौट गए। इसके बाद अप्रैल 2014 में जनता दल (यू) ने इन्हें बिहार से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित किया। इसके बाद 9 अगस्त 2018 को राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए पहली बार निर्वाचित हुए। सितंबर 2020 को राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए दूसरी बार निर्वाचित हुए।

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दिग्गज पत्रकार भी रहे हैं हरिवंश

हरिवंश ने बीएचयू से पत्रकारिता डिप्लोमा किया था। हरिवंश ने सक्रिय पत्रकारिता की शुरुआत टाइम्स ऑफ इंडिया समूह में ट्रेनी जर्नलिस्ट के रूप में की। इसके बाद वह हिंदी पत्रिका धर्मयुग में उप-संपादक के रूप में 1977-1981 तक रहे। यहां उन्हें धर्मवीर भारती से लेकर गणेश मंत्री जैसे पत्रकार का सान्निध्य मिला। इसके बाद हरिवंश आनंद बाजार पत्रिका समूह की हिंदी पत्रिका ‘रविवार’ में सहायक संपादक बने। यहां उन्होंने बिहार, झारखंड (तब अविभाजित बिहार का ही हिस्सा) समेत देश के कई इलाकों में, ग्रासरूट रिपोर्टिंग की। इसके बाद हरिवंश की पत्रकारिता के कैरियर में अहम पड़ाव बना प्रभात खबर बना। 1989 में रांची में प्रधान संपादक बने। इसके बाद वह नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर, फस्टपोस्ट, संडे (अंग्रेजी) जैसे संस्थानों में काम किया।

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मूल रूप से यूपी के हैं निवासी

हरिवंश का जन्म 30 जून 1956 को यूपी के बलिया के सिताबदियारा गांव में हुआ था। राजनेता जयप्रकाश नारायण का जन्म भी इसी गांव में हुआ था। हरिवंश के पिता बांके बिहारी सिंह गांव के प्रधान थे। इनके अनुशासन का हरिवंश के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है। 12वीं की पढ़ाई के बाद हरिवंश ने बीएचयू से स्नातक व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई की।

मिल चुके हैं कई सम्मान

हरिवंश सिंह को साल 1996 में कोलकाता में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान मिला है। पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए 2008 में भोपाल में प्रथम माधव राव सप्रे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2012 में जोहांसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में आयोजित नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान हिंदी के प्रति उत्कृष्ट योगदान के लिए हरिवंश को सम्मानित किया गया।

लेखक के रूप में ये किताबें हुईं प्रकाशित

हरिवंश नारायण सिंह ने साल 2002 में अपनी पहली किताब मेरी जेल डायरीः भाग एक और दो लिखी। इसी साल चंद्रशेखर के विचार, चंद्रशेखर संवाद एक- उथल-पुथल और ध्रुवीकरण, चंद्रशेखर संवाद दो- रचनात्मक बेचैनी चंद्रशेखर संवाद तीन- एक दूसरे शिखर, चंद्रशेखर के बारे में किताबें लिखीं। इसके अलावा उन्होंने कई किताबों को लिखा और संपादित किया। साल 2019 में हरिवंश ने अपनी आखिरी किताब ‘चंद्रशेखर:द लास्ट आइकॉन आफ आइडियोलाजिकल पोलिटिक्स’ लिखी।

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First published on: Jul 22, 2025 04:58 PM