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CM के इस्तीफों के बाद कौन चला रहा दिल्ली-मणिपुर सरकार? जानें कार्यवाहक CM के पास कितनी होती है पावर

Caretaker Chief Minister: दिल्ली में आतिशी और और मणिपुर में बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन फिर भी सरकार की जिम्मेदारी उन्हीं के पास है। आखिर कैसे? क्या कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पास उतनी ही ताकत होती है जितनी स्थायी मुख्यमंत्री के पास? आइए जानते हैं...

Edited By : Ashutosh Ojha | Updated: Feb 10, 2025 13:57
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Caretaker Chief Minister
Caretaker Chief Minister

Caretaker Chief Minister: दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें नया मुख्यमंत्री चुने जाने तक कार्यवाहक सीएम के रूप में जिम्मेदारी दी है। इसी तरह, मणिपुर में बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद भी उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया है। यह स्थिति कई बार देखने को मिलती है जब किसी मुख्यमंत्री का कार्यकाल समाप्त होता है, सरकार बहुमत खो देती है या चुनाव के नतीजे आने तक इंतजार करना होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका क्या होती है और उनके पास कितनी शक्ति होती है?

कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जरूरत क्यों पड़ती है?

जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री का कार्यकाल समाप्त हो जाता है, या वे इस्तीफा दे देते हैं, तो नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण करने तक राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जाती है। यह निर्णय राज्यपाल द्वारा लिया जाता है, जो मौजूदा मुख्यमंत्री को कार्यवाहक के रूप में नियुक्त कर सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि राज्य में सरकारी कामकाज में कोई रुकावट न आए और प्रशासन सामान्य रूप से चलता रहे। कार्यवाहक मुख्यमंत्री की यह भूमिका अस्थायी होती है और नए मुख्यमंत्री के पदभार ग्रहण करने तक ही सीमित रहती है।

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कार्यवाहक मुख्यमंत्री के अधिकार और सीमाएं

कार्यवाहक मुख्यमंत्री के अधिकार स्थायी मुख्यमंत्री की तुलना में काफी सीमित होते हैं। वे कोई नई योजना शुरू नहीं कर सकते और न ही कोई बड़ा प्रशासनिक बदलाव कर सकते हैं। उनका मुख्य कार्य पहले से चल रही योजनाओं और सरकारी कार्यों को जारी रखना होता है ताकि आम जनता को किसी प्रकार की असुविधा न हो। हालांकि, यदि राज्य में कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है, तो कार्यवाहक मुख्यमंत्री आवश्यक निर्णय लेने के लिए अधिकृत होते हैं, लेकिन वे कोई नया कानून लागू नहीं कर सकते। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि राज्य में स्थिरता बनी रहे और किसी प्रकार का प्रशासनिक संकट न उत्पन्न हो।

कार्यवाहक मुख्यमंत्री की भूमिका कब समाप्त होती है?

जैसे ही नए मुख्यमंत्री की घोषणा होती है और वे शपथ ग्रहण कर लेते हैं, कार्यवाहक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। यदि किसी कारण से नए मुख्यमंत्री का चयन नहीं हो पाता और राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है, तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, जिसमें राज्यपाल को प्रशासनिक कार्यों की पूरी जिम्मेदारी दी जाती है। हाल ही में दिल्ली और मणिपुर में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है, जहां नए मुख्यमंत्री के चयन तक आतिशी और बीरेन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया है। इस प्रकार, कार्यवाहक मुख्यमंत्री की नियुक्ति एक अस्थायी लेकिन महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, जो सरकार में सत्ता के सही तरीके से बदलाव को सुनिश्चित करती है।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Feb 10, 2025 01:56 PM

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