नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नफरत भरे भाषणों को लेकर चल रहे विवादों पर सख्स रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि यह 21वीं सदी है और अनुच्छेद 51 कहता है कि हमें वैज्ञानिक स्वभाव रखना चाहिए। जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की सुप्रीम कोर्ट की बेंच नफरत भरे भाषण देने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में आरोपियों के खिलाफ कड़े यूएपीए के तहत मामले और मुसलमानों के सदस्यों के खिलाफ घृणित टिप्पणी करने वालों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। नफरत भरे भाषणों पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘यह 21वीं सदी है। हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया है? अनुच्छेद 51 कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच रखनी चाहिए और धर्म के नाम पर यह दुखद है।’
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह के बयान (अभद्र भाषा) परेशान करने वाले हैं, खासकर ऐसे देश के लिए जो लोकतांत्रिक और धर्म-तटस्थ है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
हेट स्पीच मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ’21 वीं सदी में ये क्या हो रहा है? धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं? हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया है?’ इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी, और उत्तराखंड पुलिस से पूछा कि भड़काऊं भाषण पर अब तक क्या एक्शन लिया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि या तो हेट स्पीच वालों के खिलाफ कार्रवाई कीजिए, नहीं तो अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहिए। कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को नोटिस कर जवाब तलब किया कि हेट स्पीच में लिप्त लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
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