हरियाणा के पंचकूला से आई एक खबर ने मानो हम सभी के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जिनका जवाब अब तक लोगों को नहीं मिल पाया है। एक ही परिवार के 7 लोग मौत को गले लगा बैठे। इस परिवार पर कर्ज का बोझ इतना था कि सातों ने अपनी जिंदगियां खत्म कर लीं। पंचकूला का मामला सामने आने के बाद फिर एक बार बुराड़ी का भयंकर मंजर याद आ जाता है, जहां एक ही घर में 11 लाशें मिली थीं। आखिर इन दोनों मामलों में ऐसा क्या था कि हर कोई अपने मन में सवाल लेकर बैठा है। आखिर ऐसा हुआ तो क्यों?
पंचकूला और बुराड़ी केस में क्या समानताएं हैं?
पंचकूला और बुराड़ी केस, दोनों ही भारत में सामूहिक आत्महत्या के हाई-प्रोफाइल मामले हैं, जिन्होंने कई बातों को जन्म दिया है, जैसे- सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक।
दोनों मामलों में क्या समानताएं हैं?
सामूहिक आत्महत्या
दोनों मामले एक ही परिवार के कई सदस्यों की सामूहिक आत्महत्या से जुड़े हैं। पंचकूला केस में एक परिवार के 7 लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या की, जबकि बुराड़ी केस में एक परिवार के 11 सदस्यों ने फांसी लगाकर या अन्य तरीकों से आत्महत्या की थी।
अंधविश्वास और मेंटल हेल्थ
दोनों मामलों में अंधविश्वास या धार्मिक/आध्यात्मिक विश्वासों की भूमिका संदिग्ध रही है। बुराड़ी मामले में परिवार के एक मृत सदस्य की आत्मा से मोक्ष प्राप्ति का भ्रम था, और उनके द्वारा अजीबोगरीब अनुष्ठान किए गए थे। पंचकूला केस में भी पुलिस तंत्र-मंत्र से जुड़ी संभावनाओं की जांच कर रही है, क्योंकि परिवार ने समाज से नाता तोड़ लिया था।
सामाजिक अलगाव (Social Isolation)
दोनों परिवारों ने आत्महत्या से पहले सामाजिक संपर्क सीमित कर लिया था। बुराड़ी में परिवार ने बाहरी दुनिया से दूरी बना ली थी और पंचकूला में भी परिवार सामाजिक रूप से अलग-थलग था।
पुलिस जांच और रहस्य
दोनों मामलों ने पुलिस के लिए जटिल जांच पेश की। बुराड़ी केस में डायरी और अनुष्ठानों के सबूत मिले, जबकि पंचकूला में पुलिस बुराड़ी केस से समानताएं देख रही है और तंत्र-मंत्र की संभावना की जांच कर रही है।
सामाजिक और मीडिया का ध्यान
दोनों मामलों ने देश भर में व्यापक ध्यान आकर्षित किया। बुराड़ी कांड ने 2018 में पूरे देश को झकझोर दिया था, और पंचकूला कांड को भी एक्स पोस्ट्स में बुराड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे यह सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य चर्चा का विषय बना।
दोनों मामलों में क्या अंतर है?
घटना का समय और जगह
पंचकूला केस- यह हरियाणा के पंचकूला में मई 2025 में हुआ, जिसमें एक ही परिवार के 7 लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या की।
बुराड़ी केस- यह 2018 में उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में हुआ, जिसमें 11 परिवार के सदस्य मृत पाए गए, जिनमें से ज्यादातर ने फांसी लगाई थी।
आत्महत्या का तरीका
- पंचकूला में जहर खाना आत्महत्या का तरीका था।
- बुराड़ी में ज्यादातर सदस्यों ने फांसी लगाई और उनके मुंह पर टेप और आंखों पर पट्टी थी, जो एक प्लान्ड अनुष्ठान की ओर इशारा करता है।
कारण क्या हो सकते हैं?
पंचकूला केस- शुरू की रिपोर्ट्स में आर्थिक संकट (कर्ज) और मेंटल हेल्थ समस्याओं को कारण बताया गया है। एक्स पोस्ट्स में इसे “कर्ज, कथा और आत्महत्या” के रूप में उल्लेख किया गया है।
बुराड़ी केस- यह मुख्य रूप से अंधविश्वास और मनोवैज्ञानिक भ्रम से प्रेरित था, जहां परिवार का मानना था कि मृत सदस्य की आत्मा उन्हें मोक्ष दिलाएगी। डायरी में लिखे निर्देशों ने इसे और पुख्ता किया।
परिवार का आकार और संरचना
- पंचकूला में सात लोगों का परिवार शामिल था।
- बुराड़ी में 11 सदस्यों का बड़ा परिवार था, जिसमें तीन पीढ़ियां शामिल थीं।
सबूत और जांच क्या कहती है?
पंचकूला केस में पुलिस अभी शुरु से जांच कर रही है और तंत्र-मंत्र की संभावना की पड़ताल की जा रही है। अभी तक कोई ठोस सबूत (जैसे डायरी) सामने नहीं आए हैं।
बुराड़ी केस में पुलिस को डायरी और अनुष्ठानों के सबूत मिले थे, जो परिवार के भ्रम और अनुष्ठानों को दिखाते थे।
पंचकूला और बुराड़ी मामले दोनों ही सामूहिक आत्महत्या के दुखद मामले हैं, जिनमें अंधविश्वास, सामाजिक अलगाव और मेंटल हेल्थ की भूमिका संभावित फैक्टर्स के रूप में उभरती है। हालांकि, पंचकूला में आर्थिक संकट एक प्रमुख फैक्टर दिखता है, जबकि बुराड़ी में अंधविश्वास और अनुष्ठान केंद्र में थे। दोनों मामलों की जांच में पुलिस बुराड़ी केस की तुलना पंचकूला से कर रही है, जो समानताओं को और उजागर करती है।
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