Water Harvesting : आप अक्सर सुनते होंगे कि ‘जल ही जीवन है’। पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। धरती पर बहुमूल्य संसाधन जल है। यूं कहें कि इंसान हो या जीव, सबके लिए जीना का आधार पानी है। ऐसे में हम लोगों का फर्ज बनता है कि पानी का संचय करें। आज हम एक ऐसे ‘वॉटर हीरो’ की बात करेंगे, जो आंखों से देख नहीं सकते हैं, लेकिन आज और कल की पीढ़ियों के लिए हर बारिश में एक लाख लीटर पानी बचाते हैं।
गुजरात के राजकोट के रहने वााले महेंद्र सिंह झाला एक आईटीआई कंपनी में काम करते थे। साल 1992 में वॉलीबॉल खेलते समय उन्हें गंभीर चोट लगी थी और फिर हमेशा के लिए उनकी जिंदगी बदल गई। आंखों की पुतली में चोट लगने से उनकी 90 प्रतिशत रोशनी चली गई। उन्होंने अपनी आंख की रोशनी वापस पाने के लिए 6 बार सर्जरी कराई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
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पिछले 8 साल से पानी सेव कर रहे महेंद्र सिंह झाला
अब पूर्व आईटीआई कर्मचारी महेंद्र सिंह झाला 10 फीसदी विजन से ही अपने समुदाय के लोगों के लिए बड़ा काम कर रहे हैं। वे पिछले 8 साल से पानी की कमी की समस्या को दूर करने के लिए बारिश के पानी को एकत्रित करते हैं। झाला ने कोठारिया कॉलोनी में स्थित अपनी बिल्डिंग के अलग-अलग फ्लोर की छत्तों पर कुल 7 पानी टैंक रखे हैं।
बारिश के पानी को कैसे करते हैं बचत?
दूसरे फ्लोर की छत पर 3,000 लीटर का पानी टैंक है, जिसमें पहले बारिश का पानी भरता है। जब यहां से पानी ओवरफ्लो होता है तो उसे पाइप के जरिए फर्स्ट फ्लोर की छत पर रखे गए 1,000 लीटर के दो टैंकों में उतारा जाता है। फिर ओवरफ्लो पानी ग्राउंड फ्लोर पर रखे 2,000 लीटर के टैंक में भरता है। पार्किंग एरिया में 1,000 लीटर का एक टैंक है, जिसमें लगे फिल्टर से यह सुनिश्चित किया जाता है कि पानी साफ और उपयोग लायक है। इन टैंकों के अलावा ही बारिश के पानी को दो ग्राउंड लेवल स्टोरेज टैंकों में भी भेजा जाता है, जहां 3,000 लीटर का टैंक और 250 फीट गहरा बोर है।
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बिजली की भी होती है बचत
झाला अपने भाई गजेंद्र सिंह, बेटे यशराज सिंह और भतीजे हर्षदीप सिंह की मदद से हर साल एक लाख लीटर जल संचय करते हैं। इसके बाद पूरे साल इस पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे लेकर महेंद्र सिंह झाला की बहू आशा का कहना है कि इससे बिजली की भी बचत होती है, क्योंकि अब उन्हें पानी की मोटर का इस्तेमाल बार-बार नहीं करना पड़ता है।