पूरे देश में इस समय हर तरफ वक्फ संशोधन बिल 2024 की ही चर्चा हो रही है। विपक्षी पार्टियां वक्फ संशोधन बिल को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। यह बिल अब राज्यसभा में भी पास हो गया है, लेकिन कई मुस्लिम संगठन बिल के खिलाफ हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ एक्ट में किसी तरह के बदलाव का विरोध कर रहा है। दरअसल, सरकान ने जो नया बिल लाया है उसमें में महिलाओं, विधवाओं और अनाथ के अधिकार का पूरा ख्याल रखा गया है।
नए बिल के अनुसार अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी जमीन-जायदाद को वक्फ को दान करना चाहता है तो दान करने से पहले उसे अपने परिवार के महिलाओं का हिस्सा देना पड़ेगा। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या है वक्फ का मतलब? वक्फ की जमीनें कितने प्रकार के होती हैं? और क्या है वक्फ अलल औलाद? और क्या इसकी आड़ में महिलाओं का हक की होगी सुरक्षा? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब…
वक्फ का मतलब क्या है?
वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’ यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम पर नहीं है, लेकिन मुस्लिम समाज से संबंधित हैं, वो जमीनें वक्फ की होती हैं। इसमें मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह, मजार और नुमाइश की जगहें आदि शामिल हैं। एक वक्त के बाद ऐसा देखा गया कि ऐसी जमीनों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है और यहां तक कि इसे बेचा जा रहा है।
दरअसल, वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। वक्फ बोर्ड वक्फ की जमीनों के गलत इस्तेमाल को रोकने और जमीनों को गैर कानूनी तरीकों से बेचने से बचाने के लिए बनाया गया था। वक्फ अरबी शब्द है जो ‘वकुफा’ से बना है। ‘वकुफा’ का मतलब होता है रोकना, ठहराना या सुरक्षित करना और इसी से ‘वक्फ’ शब्द बना है और इसका अर्थ किसी संपत्ति को जन-कल्याण के लिए सुरक्षित रखना होता है।
वक्फ की जमीनें कितने प्रकार के होती हैं?
दरअसल, वक्फ बोर्ड के अंदर भी दो तरह के बोर्ड हैं। एक शिया वक्फ बोर्ड और दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड। वहीं, वक्फ की जमीनों को वक्फ अलल औलाद और वक्फ अलल खैर में बांटा गया है। इस्लाम में दान की प्रक्रिया में ‘वक्फ-अलल-औलाद’ एक अहम हिस्सा है। वक्फ-अलल-औलाद का मतलब है ‘परिवार के लिए वक्फ’।
ये वक्फ का एक प्रकार है जिसमें कोई मुसलमान अपनी संपत्ति को अपने बच्चों, नाती-पोतियों या परिवार के अन्य सदस्यों के लाभ के लिए दान करता है। इसका मकसद परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है, ताकि संपत्ति की आय का लाभ परिवार को मिलता रहे। लेकिन कई बार इसका दुरुपयोग भी हुआ। लोग अपने ही परिवार की महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर देते थे और सारी संपत्ति वक्फ को दे देते थे। इससे महिलाओं के हाथ कुछ नहीं बचता था।
नए वक्फ बिल में जोड़े गए कुछ खास प्रावधान
नए वक्फ बिल में वक्फ-अलल-औलाद को लेकर कुछ खास प्रावधान जोड़े गए हैं ताकि इसके दुरुपयोग को रोका जाए और महिलाओं और कमजोर वर्ग के अधिकारों की रक्षा हो सके। नए बिल के अनुसार, वक्फ-अलल-औलाद बनाने से पहले संपत्ति में से महिलाओं (जैसे बेटियों, पत्नियों, विधवाओं) और अन्य उत्तराधिकारियों (जैसे अनाथों) को उनकी विरासत का हिस्सा देना जरूरी होगा।
क्या है वक्फ अलल औलाद?
इस्लामी कानून में वक्फ धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति के दान को परिभाषित करता है। एक बार वक्फ के रूप में नामित होने के बाद संपत्ति को किसी और के नाम पर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है और न ही इसे बेचा जा सकता है। संपत्ति से होने वाली आय को सामाजिक लाभ, विशिष्ट व्यक्तियों या मस्जिदों, स्कूलों या जरूरतमंदों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये जमीनें वक्फ अलल औलाद के तहत दर्ज होती हैं।
आसान शब्दों में कहें तो वक्फ अलल औलाद के तहत वो जमीनें होती हैं जो किसी व्यक्ति ने मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए दान दे दी हों। दान देने के बाद ये जमीन मुस्लिम समाज के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, लेकिन इसका मैनेजमेंट दानदाता के परिवार के पास होता है। परिवार के सदस्य ऐसी जमीन को बेच नहीं सकते, लेकिन उसके इस्तेमाल पर फैसला ले सकते हैं।
वक्फ-अलल-औलाद का इतिहास क्या है?
वक्फ-अलल-औलाद की प्रथा ऐतिहासिक रूप से संपन्न मुसलमानों के बीच शुरू हुई थी, जो अपने उत्तराधिकारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करने के साथ-साथ वक्फ स्थापित करने के अपने धार्मिक कर्तव्य को भी पूरा करना चाहते थे। इस प्रथा को ओटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) के दौरान व्यापक रूप से अपनाया गया था, उस दौरान इसने धन के संरक्षण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ओटोमन कानूनी प्रणाली ने वक्फ-अलल-औलाद को वक्फ के एक वैध प्रकार के रूप में स्वीकार किया, जिससे कई अमीर परिवार अपनी संपत्ति को विभाजन या राज्य द्वारा जब्त किए जाने से बचा पाए थे। वक्फ-अलल-औलाद की स्थापना करके, संपत्ति के मालिक यह सुनिश्चित कर सकते थे कि उनकी संपत्ति परिवार के भीतर ही रहे, जिससे उनके वंशजों को निरंतर सहायता मिलती रहे।
वक्फ-अल-औलाद के उदाहरण
ओटोमन तुर्की: ओटोमन इतिहास का एक प्रमुख उदाहरण है कि संपन्न भूस्वामियों ने अपनी विशाल संपत्ति को पीढ़ियों तक बरकरार रखने के लिए वक्फ-अलल-औलाद की स्थापना की थी। इस रणनीति ने उनकी जमीनों को उत्तराधिकारियों के बीच विभाजित होने या राज्य द्वारा हड़पे जाने से बचाया गया था, साथ ही परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक प्रभाव को भी बनाए रखा। इन जमीनों से होने वाले आय को वक्फ डीड में उल्लिखित प्रावधानों के आधार पर परिवार के सदस्यों के बीच वितरित किया जाता था।
भारत के नवाब: भारत में मुगल काल के दौरान, कई शाही परिवारों और नवाबों (क्षेत्रीय शासकों) ने अपनी संपत्ति को बाहरी खतरों से बचाने और अपने वंश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वक्फ-अलल-औलाद की स्थापना की थी। उदाहरण के लिए, एक नवाब अपनी जमीन का एक हिस्सा वक्फ-अलल-औलाद के रूप में आवंटित कर सकता था, जिससे होने वाली आय का इस्तेमाल अपने बच्चों और पोते-पोतियों के पालन-पोषण में करता था। इस प्रथा ने पीढ़ियों में परिवार की आर्थिक स्थिरता और सामाजिक प्रमुखता को सुरक्षित रखने में मदद की थी।
खाड़ी देशों में आधुनिक उदाहरण: कई समकालीन खाड़ी देशों में संपन्न व्यक्ति अपने उत्तराधिकारियों के लाभ के लिए अपनी संपत्ति का प्रबंधन करने के साधन के रूप में वक्फ-अलल-औलाद बनाना जारी रखे हुए हैं। उदाहरण के लिए एक व्यवसाय का मालिक अपनी अचल संपत्ति या व्यावसायिक होल्डिंग्स के हिस्से को वक्फ-अलल-औलाद के रूप में नामित कर सकता है, जिसमें लाभ उनके बच्चों और पोते-पोतियों की मदद के लिए निर्धारित किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि पारिवारिक व्यवसाय परिवार के भीतर ही रहे, जिससे आने वाली पीढ़ियों को निरंतर सहायता मिलती रहे।
वक्फ अलल खैर क्या है?
वक्फ की संपत्ति का दूसरा हिस्सा है वक्फ अलल खैर। इसके तहत इन जमीनों का कोई मालिक नहीं होता है। वक्फ बोर्ड के अधीन आने वाली इन जमीनों पर बोर्ड किसी व्यक्ति को इसका मैनेजर बना देता है। वक्फ बोर्ड की भाषा में इस मैनेजर को ‘मुतवल्ली’ कहते हैं। मुतवल्ली इस जमीन का इस्तेमाल समाज हित के काम के लिए करता है। वो अपने विवेक से किसी को जमीन दे नहीं सकता।