संसद के दोनों सदनों से पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को 2 और याचिकाएं दाखिल की गई हैं यानी अब तक इस बिल के खिलाफ 4 याचिका दाखिल हो चुकी है। एक याचिका दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक और वक्फ में घोटाले और गबन के आरोपी अमानतुल्लाह खान ने दाखिल की है। वहीं, दूसरी याचिका शनिवार को ही ‘एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स’ नामक संस्था ने दाखिल की है। इससे पहले शुक्रवार को बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अलग-अलग याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी।
अमानतुल्लाह खान ने की वक्फ बिल को रद्द करने की मांग
अमानतुल्लाह खान ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को ‘असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए का उल्लंघन करने वाला’ घोषित किया जाए और इसे रद्द करने का निर्देश दिया जाए। खान का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों को कमजोर करता है। उनके मुताबिक, यह सरकार को मनमानी करने की ताकत देता है और अल्पसंख्यकों के अपने धार्मिक संस्थानों को चलाने के हक को छीनता है।
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की बात
वहीं, वक्फ बिल की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स ने कहा कि वक्फ एक्ट-1995 में जो संशोधन कर नया विधेयक लाया गया है, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए के तहत निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
कांग्रेस सांसद भी दाखिल कर चुके हैं याचिका
इससे पहले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन बिल, 2025 की वैधता को चुनौती दी थी। उन्होंने भी नए बिल को संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ बताया है। जावेद की याचिका में आरोप लगाया गया है कि विधेयक में वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन पर ‘मनमाने प्रतिबंध’ लगाने के प्रावधान किए गए हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता कमजोर होगी। वकील अनस तनवीर के जरिए से दायर याचिका में कहा गया है कि बिल में मुस्लिम समुदाय से भेदभाव किया गया है, क्योंकि इसमें ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो अन्य धार्मिक बंदोबस्तों में मौजूद नहीं हैं। बता दें कि बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद जावेद इस विधेयक को लेकर गठित जेपीसी के सदस्य थे।
ओवैसी ने अपनी याचिका में क्या कहा?
वहीं, ओवैसी ने अपनी याचिका में कहा कि इस बिल के जरिये वक्फ संपत्तियों से संरक्षण छीन लिया गया है जबकि हिंदू, जैन, सिख धार्मिक एवं धर्मार्थ संस्थाओं को यह संरक्षण मिला हुआ है। वकील लजफीर अहमद द्वारा दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है, ‘वक्फ को दी गई सुरक्षा को कम करना जबकि अन्य धर्मों के धार्मिक व धर्मार्थ बंदोबस्तों का संरक्षण बरकरार रखना मुसलमानों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।’