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सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने क्यों कहा कि मुस्लिम पक्ष वक्फ एक्ट को लेकर गलत नैरेटिव फैला रहा

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने वक्फ कानून पर किसी भी अंतरिम आदेश का विरोध किया।

Author Written By: Prabhakar Kr Mishra Author Edited By : Deepak Pandey Updated: May 21, 2025 16:49
Supreme Court | Bihar SIR | BJP Congress
बिहार में SIR पर घमासान मचा हुआ है और विवाद दिल्ली तक पहुंच गया है।

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें रखीं और कहा कि वक्फ एक इस्लामिक कॉन्सेप्ट है, इस पर कोई विवाद नहीं है। आइए जानते हैं कि सॉलिसिटर जनरल ने क्या रखीं दलीलें?

सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 1923 का कानून हो या 1954 का या 1995 का, यह प्रावधान था कि कोई भी व्यक्ति वक्फ प्रॉपर्टी को पंजीकृत करा सकता था। किसी पेपर की जरूरत नहीं थी। 2025 के कानून में वक्फ रजिस्ट्रेशन के लिए दस्तावेज का प्रावधान किया गया है। यह गलत नैरेटिव गढ़ा जा रही है कि जिस वक्फ प्रॉपर्टी का पेपर नहीं होगा, वो ले ली जाएगी। वक्फ कानून पर किसी भी अंतरिम आदेश का विरोध कर रहे हैं।

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दान हर धर्म का हिस्सा : सॉलिसिटर जनरल

उन्होंने कहा कि वक्फ एक इस्लामिक कॉन्सेप्ट है, इस पर कोई विवाद नहीं है। लेकिन वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि दान हर धर्म का हिस्सा है और यह क्रिश्चियन के लिए भी हो सकता है। हिंदुओं में दान की एक प्रणाली है। सिखों में भी यह मौजूद है। इस्लाम में वक्फ कुछ और नहीं, बल्कि दान है।

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तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में क्या रखीं दलीलें?

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हिंदुओं या ईसाइयों से जुड़े धार्मिक स्थलों के ट्रस्ट व बंदोबस्ती से वक्फ की तुलना सिद्धांत रूप से गलत है। उन्होंने कहा कि जब हिंदू कोड बिल आया तो व्यक्तिगत अधिकार छीन लिए गए, कोई तर्क नहीं दिया गया, क्योंकि मुसलमानों पर उनके शरिया अधिनियम के तहत शासन किया जाता था। हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम सिर्फ धार्मिक कार्यों तक सीमित है, जबकि वक्फ के धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है। वक्फ अन्य गतिविधियों में भी शामिल होता है।

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सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि ट्राइबल एरिया से ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि वहां मनमाने ढंग से ट्राइबल लैंड को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित की जा रही थी, क्योंकि वक्फ मामले में लॉ ऑफ लिमिटेशन लागू नहीं था, इसलिए इस कानून में लॉ ऑफ लिमिटेशन की व्यवस्था की गई है। लॉ ऑफ लिमिटेशन में किसी संपत्ति से जुड़े विवाद में मुकदमा दायर करने की समय सीमा तय होती है। उस समय सीमा के बाद केस दायर नहीं किया जा सकता। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी वक्फ संशोधन एक्ट पर सुनवाई होगी।

First published on: May 21, 2025 04:19 PM

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