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पूरे गांव को घोषित कर दिया वक्फ की जमीन, ग्रामीणों को मिला नोटिस, उड़े होश

वेल्लोर जिले के कट्टुकुल्ले गांव में वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन पर दावा किए जाने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। 150 परिवारों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और पट्टा जारी करने की मांग की है।

Author Written By: kj.srivatsan Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Apr 15, 2025 17:33

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के तिरुचेंदुरई गांव के बाद अब वेल्लोर जिले के एक और गांव में वक्फ बोर्ड के दावे ने लोगों को सदमे में डाल दिया है। वेल्लोर जिले के अनैकट्टु तालुका स्थित कट्टुकोल्लई गांव की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताते हुए ग्रामीणों को नोटिस भेजा गया है।

इस नोटिस में कथित रूप से कहा गया है कि यह जमीन सैयद अली सुल्तान शाह दरगाह की है, जो वक्फ संपत्ति के अंतर्गत आती है। इसमें यह भी उल्लेख है कि गांव वालों को वक्फ बोर्ड के साथ एक समझौता (एग्रीमेंट) करना होगा और अब उन्हें रहने के लिए दरगाह प्रबंधन को किराया देना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो इसे अतिक्रमण मानते हुए ज़मीन को खाली करवाने की कार्रवाई की जाएगी।

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चार पीढ़ियों से रह रहे ग्रामीणों में गहरी चिंता

कट्टुकोल्लई गांव के करीब 150 परिवारों ने वेल्लोर जिला कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि वे चार पीढ़ियों से इस भूमि पर रह रहे हैं और पूरी तरह कृषि पर निर्भर हैं। अब अचानक वक्फ बोर्ड द्वारा उनकी जमीन पर दावा जताए जाने से वे बेहद परेशान हैं।

ग्रामीणों का यह भी दावा है कि उनके पास जमीन से संबंधित सभी वैध सरकारी दस्तावेज मौजूद हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अब उन्हें जबरन अपनी जमीन खाली करने को मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनकी आजीविका और जीवन दोनों खतरे में पड़ गए हैं।

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हिंदू मुन्ननी का समर्थन, प्रशासन से कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों को ‘हिंदू मुन्ननी’ नामक संगठन का समर्थन भी मिल रहा है। संगठन के नेता महेश, जो ग्रामीणों को कलेक्टर कार्यालय लेकर गए थे, उन्होंने प्रशासन से मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है। महेश ने कहा, “ग्रामीण कम से कम चार पीढ़ियों से इस इलाके में रह रहे हैं। उनके पास जमीन से जुड़े सभी सरकारी दस्तावेज़ मौजूद हैं।”

उन्होंने बताया कि जिस जमीन को वक्फ संपत्ति बताया जा रहा है, उसका सर्वे नंबर 330/1 है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि गांव के निवासियों को जमीन का ‘पट्टा’ (स्वामित्व प्रमाण पत्र) जारी किया जाए, ताकि उनकी आजीविका और अधिकार सुरक्षित रह सकें।

पहले भी उठ चुका है विवाद

इससे पहले वर्ष 2022 में तिरुचिरापल्ली जिले के तिरुचेंदुरई गांव में भी तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने लगभग 480 एकड़ जमीन पर दावा किया था, जिसमें एक 1500 वर्ष पुराना चोल युग का मंदिर भी शामिल था। उस समय भी मामला गरमाया था और राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

First published on: Apr 15, 2025 05:31 PM

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