TMC Loses National Party Status: तृणमूल कांग्रेस उन तीन पार्टियों में शामिल है, जिनसे चुनाव आयोग ने सोमवार को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने वाले अन्य दो दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) शामिल हैं।
चुनाव आयोग के आदेश में उल्लेख किया गया है कि पार्टियां भविष्य के चुनावी परिणामों (लोकसभा और राज्यसभा) में अपने प्रदर्शन के आधार पर अपनी राष्ट्रीय और राज्य की पार्टी का दर्जा हासिल कर सकती हैं, लेकिन फिलहाल के लिए तृणमूल कांग्रेस समेत तीन पार्टियों का राष्ट्रीय दर्जा वापस ले लिया गया है।
टीएमसी के राष्ट्रीय दर्जा को वापस लिए जाने का क्या मतलब?
- ईवीएम या बैलेट पेपर में पहले कुछ नामों के बीच पार्टी का चुनाव चिह्न अब दिखाई नहीं देगा, क्योंकि इस लिस्ट में राष्ट्रीय पार्टी के नाम पहले दिखाई देते हैं।
- अब ममता बनर्जी की पार्टी ‘अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस’ का इस्तेमाल नहीं कर पाएगी।
- जब भी चुनाव आयोग सर्वदलीय बैठक बुलाएगा, टीएमसी को बैठकों के लिए बुलावा नहीं भेजा जाएगा।
- राष्ट्रीय दर्जा वापस लेने से राजनीतिक फंडिंग भी प्रभावित होगी, लेकिन यह प्रमुख नहीं बल्कि आंशिक रूप से प्रभावित होगी।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस भारत निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्पों की तलाश कर रही है। बता दें कि देश में वर्तमान में छह राष्ट्रीय दल हैं जिनमें भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), सीपीआई (एम), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और आम आदमी पार्टी शामिल हैं।
टीएमसी का क्या है इतिहास?
तृणमूल कांग्रेस का गठन ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस से अलग होने के बाद किया था। तृणमूल कांग्रेस 2014 में राज्य पार्टी बन गई। पार्टी 2011 में पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई और बाद में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा तक फैल गई।
2016 में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला। पिछले साल के गोवा चुनावों और हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों में हुए कुछ विधानसभा चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय दर्जा रद्द कर दिया गया है।