The Kerala Story: तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ‘द केरल स्टोरी’ के फिल्म निर्माताओं ने जानबूझकर भ्रामक बयान दिए हैं। तमिलनाडु सरकार के मुताबिक, फिल्म निर्माताओं ने झूठ कहा है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाया है। राज्य सरकार ने कहा कि दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया के कारण सिनेमाघरों ने फिल्म का प्रदर्शन बंद कर दिया।
तमिलनाडु सरकार की ओर से दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि दर्शकों की खराब प्रतिक्रिया के कारण थियेटर्स मालिकों ने खुद फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी है और सरकार सिनेमाघरों को सुरक्षा प्रदान करने के अलावा उक्त फिल्म के लिए दर्शकों का संरक्षण बढ़ाने के लिए कुछ नहीं कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने पहले तमिलनाडु सरकार से फिल्म निर्माताओं की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य ने राज्य में फिल्म पर प्रतिबंध लगाया है। हलफनामा दायर करते हुए तमिलनाडु सरकार ने कहा कि थिएटर मालिकों ने फिल्म के खराब प्रदर्शन (दर्शकों में कमी) को देखते हुए 7 मई को स्वेच्छा से फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी थी।
राज्य सरकार ने कहा कि फिल्म को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज किया गया था और फिल्म निर्माताओं ने यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी है। सरकार की ओर से कहा गया कि हमने हर उस मल्टीप्लेक्स में पुलिस बल तैनात किए थे, जहां द केरला स्टोरी लगी थी, ताकि मूवी देखने वाले बिना किसी बाधा के फिल्म देख सकें।
965 से अधिक पुलिसकर्मी किए गए थे तैनात
हलफनामे में कहा गया है कि 25 डीएसपी समेत 965 से अधिक पुलिस कर्मियों को 21 मूवी थिएटरों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था, जहां द केरला स्टोरी की स्क्रीनिंग की जा रही थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने पर पश्चिम बंगाल सरकार से भी सवाल किया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने पूछा कि फिल्म पूरे देश में रिलीज हो रही है और पश्चिम बंगाल सरकार को इसे क्यों नहीं चलने देना चाहिए? कहा कि अगर जनता को नहीं लगता कि फिल्म देखने लायक नहीं है, तो वे इसे नहीं देखेंगे और पश्चिम बंगाल से सवाल किया कि फिल्म को क्या नहीं चलने देना चाहिए।