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रोड एक्सीडेंट पर सुप्रीम कोर्ट के 2 बड़े फैसले, शादीशुदा बच्चे भी होंगे मुआवजे के हकदार

Supreme Court on Road Accident: रोड एक्सीडेंट, मुआवजे और एक्सीडेंटल क्लेम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2 बड़े फैसले सुनाए हैं। एक फैसला बीमा कंपनी के लिए है और दूसरा फैसला हादसे में जान गंवाने वाले किसी भी शख्स के बच्चों के लिए है। आइए जानते हैं कि दोनों केस और दोनों फैसले क्या है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Jul 3, 2025 08:33
Supreme Court | Accident Claim | Accident Compansation
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक्सीडेंट से जुड़े 2 मामलों में अहम फैसले सुनाए।

Supreme Court Major Verdicts: रोड एक्सीडेंट, मुआवजे और एक्सीडेंट क्लेम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2 बड़े फैसले दिए हैं। एक फैसला एक्सीडेंट क्लेम को लेकर है, जिसमें कहा गया है कि अगर कोई सड़क हादसे में खुद की गलती से मरते हैं तो दुर्घटना बीमा का भुगतान करने की लिए बीमा कंपनी बाध्य नहीं है। दूसरा फैसला मुआवजे को लेकर है कि अगर हादसे में किसी की मौत हो जाती है और उसके बेटे-बेटियां विवाहित हैं तो मोटर वाहन अधिनियम के तहत वे मुआवजा पाने के हकदार हैं, बेशक मृतक उन पर आर्थिक रूप से निर्भर थे या नहीं।

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क्या है पहला फैसला?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की बेंच ने एक्सीडेंट से जुड़े एक केस में फैसला सुनाया। बेंच ने हादसे में जान गंवाने वाले शख्स की पत्नी-बेटे और माता-पिता की मुआवजे की मांग को रिजेक्ट करते हुए कहा कि अगर कोई शख्स लापरवाही से गाड़ी ड्राइव करता है और उसकी खुद की गलती से हादसे में उसकी जान चली जाती है तो मरने वाल के परिजनों को दुर्घटना बीमा का भुगतान करने की लिए बीमा कम्पनी बाध्य नहीं होगी। पीड़ित परिवार बीमा कंपनी से भुगतान की उस स्थिति में मांग नहीं कर सकते, जब हादसा बिना किसी बाहरी वजह के हुआ हो और जान गंवाने वाले की खुद की गलती से ही हुआ हो।

बता दें कि 18 जून 2014 को कर्नाटक निवासी एनएस रविश अपने माता-पिता और पत्नी-बच्चों के साथ कार में कहीं जा रहे थे, लेकिन रविश फास्ट और केयरलेस ड्राइविंग कर रहे थे। इस वजह से कार पलट गई और हादसे में रविश की जान चली गई। रविश के परिजनों ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 80 लाख का मुआवजा मांगा, लेकिन पुलिस चार्जशीट में कहा गया कि हादसा रविश की गलती से हुआ था। इस आधार पर मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल ने मुआवजे की मांग खारिज कर दी। परिवार ने फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, लेकिन हाई कोर्ट ने 23 नवंबर 2024 को अपील ठुकरा दी। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ परिवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। वहां भी फैसला इंश्योरेंस कंपनी के पक्ष में आया।

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क्या है दूसरा फैसला‌?

12 अक्टूबर 2010 को हुए हादसे से जुड़े केस में जजमेंट देते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि हादसे में जान गंवाने वाले के विवाहित बेटे और बेटियां भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजा पाने के हकदार हैं, बेशक मृतक उन पर आर्थिक रूप से निर्भर था या नहीं। जितेंद्र कुमार एवं अन्य बनाम संजय प्रसाद एवं अन्य केस में फैसला सुनाया गया। हादसे में 64 वर्षीय निरंजन दास की जान गई थी। निरंजन अपने दोस्त के साथ कहीं जा रहे थे कि एक ट्रेलर ने उनकी कार को टक्कर मार दी।

ट्रेलर ड्राइवर के खिलाफ धारा 279 और 304ए के तहत केस दर्ज हुआ था। मृतक निरंजन के 2 विवाहित बेटें और अविवाहित बेटी ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 166 के तहत 5 करोड़ के मुआवजे की मांग की थी। न्यायालय ने निर्देश दिया कि मुआवज़ा सीधे दोनों बेटों (अपीलकर्ता संख्या 1 और 2) और अविवाहित बेटी (प्रतिवादी संख्या 4) के बैंक खातों में भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मृतक के बच्चों और इंश्योरेंस कंपनी की ओर से पेश किए सबूतों के आधार पर बीमा कंपनी को निर्देश दिया गया कि मुआवजा दिया जाए और बच्चों के बैंक खातों में एक महीने के अंदर ट्रांसफर करे।

 

First published on: Jul 03, 2025 08:11 AM

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