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गुजारे भत्ते पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला; जानें किस केस का किया निपटारा और क्या था विवाद?

Supreme Court Verdict: पत्नी अलग रहती हो तो उसे गुजारा भत्ता मिलना चाहिए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। 9 साल पुराने केस का निपटारा करते हुए बेंच ने बड़ी टिप्पणी भी की है।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Jan 12, 2025 10:01
प्रतीकात्मक तस्वीर
शादी के एक साल बाद अलग रहने लगे थे पति-पत्नी।

Supreme Court Verdict on Maintenance: सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी को गुजारे भत्ता देने पर बेहद अहम फैसला सुनाया है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने 9 साल पुराने एक केस का निपटारा गया। कोर्ट ने फैसला दिया कि बेशक पत्नी अलग रह रही हो, तब भी उसे गुजारा भत्ता मिल सकता है, बशर्ते उसके अलग रहने का कोई लीगल रीजन हो। इस जजमेंट के साथ ही कोर्ट ने पति को अलग रह रही पत्नी को 10000 रुपये प्रति माह भत्ता देने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की अगुआई वाली बेंच ने केस की सुनवाई की। मामला झारखंड के एक दंपति का था, जिनकी शादी मई 2014 में हुई थी और दोनों अगस्त 2015 से अलग रह रहे हैं।

 

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वैलिड रीजन हो तो आदेश का कर सकती उल्लंघन

बेंच ने उस कानूनी विवाद का निपटारा कर दिया कि जिसमें सवाल उठाया गया था कि क्या पति वैवाहिक संबंध बहाल करने के लिए डिक्री हासिल कर लेता है, कानून के आधार पर पत्नी को गुजारा भत्ता देने से आजाद हो जाता है, लेकिन अगर पत्नी उस डिक्री का पालन करने से इनकार कर दे तो क्या वह गुजारे भत्ते के लिए दावा कर कर सकती है? इसके जवाब में सर्वोच्च न्यायालय ने जवाब दिया कि यदि किसी महिला के पास अपने पति के साथ रहने से इंकार करने का कोई वैलिड रीजन है तो वह साथ रहने के आदेश का उल्लंघन कर सकती है। गुजारे भत्ते के लिए दावा कर सकती है और कानून के अनुसार उसे गुजारा भत्ता दिया जाएगा। इसका उल्लंघन अपराध है।

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पत्नी ने कोर्ट को दिए बयान में यह आरोप लगाए

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के एक दंपति ने मई 2014 में शादी की थी। अगस्त 2015 में दोनों अलग हो गए। पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए रांची की फैमिली कोर्ट में याचिका डाली। उसने दावा किया कि उसकी पत्नी 21 अगस्त 2015 को ससुराल छोड़कर चली गई। कई बार उसे वापस लाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं आई। पत्नी ने कोर्ट को दिए लिखित बयान में आरोप लगाया कि पति ने उसे प्रताड़ित किया और मानसिक पीड़ा दी। उसने 4 पहिया वाहन खरीदने के लिए मायके से 5 लाख रुपये लाने को कहा। पति के किसी और महिला से संबंध थे। विवादों के चलते 1 जनवरी 2015 को उसका गर्भपात हो गया, लेकिन पति उसे देखने नहीं आया।

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हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंची थी पत्नी

दोनों पक्षों को सुनने के बाद 23 मार्च 2022 को फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए वैवाहिक अधिकारों की बहाली का आदेश दे दिया और कहा कि पति उसके साथ रहना चाहता है, लेकिन पत्नी ने इस आदेश का पालन नहीं किया और फैमिली कोर्ट में गुजारे भत्ते के लिए याचिका दायर की। फैमिली कोर्ट ने पति को पत्नी को 10000 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। पति ने इस फैसले को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है, क्योंकि पति उसके साथ रहना चाहता है, लेकिन उसने आदेश का उल्लंघन किया है। इस फैसले से दुखी होकर पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में आदेश को चुनौती दी, जिसने उसके पक्ष में फैसला सुनाया।

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First published on: Jan 12, 2025 10:01 AM

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