नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 17 मार्च को फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि प्राइवेट पार्ट को टच करना और नाड़ा तोड़ना रेप का प्रयास नहीं है। हाई कोर्ट के इस चर्चित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले में बुधवार को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ 26 मार्च को इस मामले पर सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि प्राइवेट पार्ट को पकड़ना और पायजामा के नाड़े को तोड़ने के मामले में आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता है।
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जानें HC ने क्या दिया था फैसला?
फैसला देने वाले हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड करने के बाद यह कहा था कि इन आरोप के चलते यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला तो बनता है, लेकिन इसे रेप का प्रयास नहीं कह सकते हैं। हाई कोर्ट के इस फैसले का विरोध हुआ। कई कानूनविदों ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी।
जानें क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कासगंज में तीन आरोपियों ने 11 साल की मासूम के साथ दरिंदगी का प्रयास किया। कोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोप है कि आरोपियों ने लड़की का ब्रेस्ट टच किया और पायजामा के नाड़े को तोड़ने की कोशिश की। तीनों ने मासूम को पुलिया के नीचे खींचने का भी प्रयास किया, लेकिन कुछ लोगों के आ जाने के बाद आरोपियों ने लड़की को छोड़ दिया और मौके से भाग निकले।
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