Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को मजदूरों को गुजारा भत्ता नहीं दिए जाने पर फटकार लगाई है। प्रदूषण मामले में सुनवाई के दौरान हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान सरकार ने भी अपना पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सरकार से पूछा कि कंस्ट्रक्शन मजदूरों को गुजारा भत्ता कब तक दिया जाएगा? न्यायालय में पांचों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि 90 हजार कंस्ट्रक्शन मजदूरों को 2 हजार रुपये गुजारा भत्ते का भुगतान हो चुका है। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि इन मजदूरों को 8 हजार रुपये देने थे।
बाकी का भुगतान कब तक करेंगे? आप क्या चाहते हैं कि ये मजदूर भूख से मरें? चीफ सेक्रेटरी की तरफ से कहा गया कि बाकी पैसे का भुगतान कल तक हो जाएगा। इस दौरान एयर क्वालिटी कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि दिल्ली/NCR में लागू ग्रैप-4 के प्रावधानों को हटाने की अनुमति दी जाए।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव से पूछा कि हमारे आदेश के बाद कंस्ट्रक्शन मजदूरों को रजिस्टर्ड करवाने के लिए क्या कोई नोटिस जारी किया गया था? इस पर सचिव ने कहा कि वे संबंधित विभाग से इसको लेकर जवाबतलबी करेंगे। कोर्ट ने इस पर दोबारा सवाल किया कि फिर क्या रास्ता बचता है? जिसके बाद चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि वे नोटिस जारी करेंगे। हम लोग कंस्ट्रक्शन मजदूरों को रोजगार देने वाली एजेंसियों से संपर्क कर रहे हैं। इस बाबत यूनियनों को भी सूचित किया गया है।
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इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कब और कितनी यूनियनों से संपर्क किया गया है? जवाब में मुख्य सचिव ने 35 यूनियनों को सूचित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कल ही सबको सूचना दी गई है। 2 दिसंबर को बोर्ड मीटिंग हुई है। मजदूरों को वेरिफाई करने का काम जारी है, पोर्टल से सरकार पूरी जानकारी का मिलान कर रही है।
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सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा कि दिल्ली में 90 हजार कंस्ट्रक्शन मजदूर हैं। क्या आपके इस बयान को रिकॉर्ड पर लेना चाहिए? चीफ सेक्रेटरी ने न्यायालय को वेरिफाई करने की बात कही। इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार ने पता लगाने की कोशिश ही नहीं की। आपको पता ही नहीं है कि 90 हजार के अलावा भी कई कर्मचारी हैं। गुजारा भत्ता नहीं दिए जाने पर न्यायालय ने अवमानना नोटिस जारी करने की बात कही।