Supreme Court rejects parents plea for euthanasia for son: किसी बच्चे के जन्म पर उसकी मां को शायद सबसे ज्यादा खुशी होती है। लेकिन क्या कोई मां अपने बेटे की मौत की दुआ कर सकती है? और वह भी उस बेटे की जिसे उसने पाल पोसकर 30 साल का किया हो। आप कहेंगे कि किसी मां के लिए अपने जिगर के टुकड़े के लिए ऐसा करना नामुमकिन है।
लेकिन ये सच है, दरअसल, गाजियाबाद निवासी 30 वर्षीय हरीश राणा पिछले लगभग 10 साल से अधिक से बेड पर है। उसके मां निर्मला देवी और पिता अशोक राणा ने उसे इच्छामृत्यु देने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। हालांकि शीर्ष अदालत ने ये याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने ऑर्डर में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से इस बारे में सरकार से चर्चा कर ये बताने को कहा है कि क्या हरीश के इलाज के लिए सरकार की कोई योजना है।
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कोर्ट ने ये दिया आदेश
कोर्ट ने पूछा है कि क्या कोई संस्थान हरीश का इलाज करवा सकती है। कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को इस पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने अपने ऑर्डर में साफ कहा कि हरीश के फूड पाइप को हटाकर उसे इच्छामृत्यु नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि फूड पाइप हटाने के बाद वह भूख से तड़प-तड़प कर मरेगा और नियमों के अनुसार वह इस तरह का आदेश नहीं दे सकते। कोर्ट ने केंद्र सरकार से हरीश की देखभाल करने का कोई रास्ता बताने को कहा है।
Passive euthanasia: SC asks Centre to explore possible aid for patient
The bench was hearing a plea filed by the parents of a 30-year-old man, seeking passive euthanasia for him as he has been in a vegetative state for many years.
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— Law Today (@LawTodayLive) August 21, 2024
क्या है पूरा मामला
पेश याचिका के अनुसार करीब 10 साल पहले हरीश चंड़ीगढ़ में अपने पीजी की चौथी मंजिल से जमीन पर गिर गया था। वह चंड़ीगढ़ के एक कॉलेज में इंजीनियरिंग कर रहा था। गिरने के बाद उसके सिर पर गहरी चोट लगी और उसका दिमाग और शरीर पर लकवा पड़ गया। अब वह पिछले दस साल से बेड पर है और उसके शरीर पर खाने और शौच के लिए दो पाइप डले हुए हैं। याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि हरीश का इलाज करवाने के लिए माता-पिता ने अपनी जमीन बेच दी और अब तक सभी जमापूंजी लगा चुके हैं।
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