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‘करवाचौथ का व्रत सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य हो’, सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज

Supreme Court: करवा चौथ का व्रत भारत में हिंदू महिलाओं के बीच प्रचलित पर्व है, जो पतियों की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। एक जनहित याचिका में इस व्रत को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य करने की मांग की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

Author Reported By : Prabhakar Kr Mishra Edited By : Namrata Mohanty Updated: May 19, 2025 13:32

Supreme Court: करवा चौथ का उपवास भारत में हिंदू महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला व्रत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। यह त्योहार भारत के उत्तरी राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक याचिका आई है, जो इस व्रत को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य करने की मांग कर रही थी। दरअसल, याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार को इस त्योहार को सख्ती से लागू कराने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए नाराजगी भी जताई है और इसे मोटिवेटेड पिटीशन बताया है।

जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने लिया फैसला

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने यह याचिका आई थी जिसमें मांग की गई थी कि करवाचौथ का व्रत सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य किया जाए। याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार से आग्रह किया गया था कि इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व को सख्ती से लागू कराने के लिए आदेश जारी किया जाए। इस पिटिशन में यह भी दावा किया गया था कि इस व्रत को अनिवार्य करने से महिलाओं के स्वास्थ्य और समाज में पारिवारिक रिश्तों को मजबूती मिलेगी, लेकिन बेंच ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया है।

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कोर्ट ने जताई नाराजगी

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पूरी तरह से “मोटिवेटेड पिटीशन” है और ऐसी याचिकाएं अक्सर किसी खास मुद्दे या समस्या के बारे में प्रेरित करने के लिए लगाई जाती हैं। कोर्ट ने इसे पर्दे के पीछे से दायर की जाने वाली याचिका बताया है, ताकि उन्हें सार्वजनिक रूप से सामने न लाया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिकाएं समाज के किसी भी भले के लिए नहीं हैं और न ही इन्हें गंभीरता से लिया जा सकता है।

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी किया खारिज

इससे पहले, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज करते हुए पिटीशनर पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। हाईकोर्ट ने पंचकूला के नरेंद्र मल्होत्रा को चेतावनी भी दी थी कि यदि वे भविष्य में इस तरह की याचिका फिर से दायर करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना बढ़ा दिया जाएगा।

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First published on: May 19, 2025 01:32 PM

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