---विज्ञापन---

‘सुप्रीम’ पावर के इस्तेमाल से दूसरी पत्नी को पेंशन, 23 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मिला इंसाफ

Second Wife Gets Pension: जय नारायण महाराज साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में काम करते थे और 1983 में सेवा से रिटायर हुए। उनकी पहली पत्नी का निधन 1984 में हुआ। 16 साल बाद 2001 में जय नारायण की मौत हो गई।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Aug 1, 2024 10:40
Share :
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए महिला को न्याय दिया। फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए महिला को न्याय दिया। फाइल फोटो

Second Wife Gets Pension: सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर द्वि-विवाह को गंभीर अपराध कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि पहली पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी अवैध है। हालांकि कोर्ट ने एक फैसले में दूसरी पत्नी को पेंशन देने का फैसला सुनाया है, जबकि व्यक्ति ने दूसरी शादी तब की थी, जब पहली पत्नी जिंदा थी।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन ने संविधान के आर्टिकल 142 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए महिला को पेंशन का लाभ देने का फैसला सुनाया है। महिला ने साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड से रिटॉयर्ड पति की मौत के बाद पेंशन का लाभ पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

ये भी पढ़ेंः ‘सुप्रीम कोर्ट या कहां जाएं… कौन सा वकील करें’, रैली में केजरीवाल के लिए भावुक हुए पंजाब CM मान

हालांकि पति की पेंशन का लाभ पाने के लिए महिला को 23 साल कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। महिला के पति की वर्ष 2001 में मौत हो गई थी।

न्याय के कोर्ट ने असाधारण शक्तियों का प्रयोग किया

कोर्ट ने पाया कि एक पत्नी के रूप में महिला की दावेदारी पर कोई सवाल नहीं है। सिवाय इसके कि उसकी शादी तब हुई थी, जब पहली पत्नी जिंदा थी। कोर्ट ने कहा कि एक सच ये भी है कि तीनों एक साथ रहते थे। कोर्ट ने पाया कि यह विचित्र मामला था। लिहाजा पूर्ण न्याय करने के लिए कोर्ट ने अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग किया और महिला को पेंशन का लाभ दिया।

ये भी पढ़ेंः ‘उनको सुप्रीम कोर्ट ने तड़ीपार किया था…’ शरद पवार का अमित शाह पर पलटवार

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘ये पूरा मामला बहुत विचित्र है। लेकिन हमें पूर्ण न्याय करना होगा। 20 अप्रैल 1984 को जय नारायण महाराज की पहली पत्नी सावरी देवी की मौत के बाद राधा देवी और जय नारायण एक साथ रहे और एक दूसरे की देखभाल की। राधा देवी को जीवन के आखिरी दौर में पत्नी के स्टेट्स से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इससे उन्हें जीवन को गरिमापूर्ण तरीके से जीने और आर्थिक रूप से मदद मिलेगी।’

आर्टिकल 142 का इस्तेमाल

राधा देवी को न्याय देने के लिए कोर्ट ने संविधान में आर्टिकल 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, ‘राधा देवी को 1 जनवरी 2010 से फैमिली पेंशन का भुगतान किया जाना चाहिए और यह 31 दिसंबर 2024 से पहले होना चाहिए। राधा देवी को जिंदा रहने तक पेंशन का भुगतान किया जाए।’

जय नारायण महाराज साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में काम करते थे और 1983 में सेवा से रिटायर हुए। उनकी पहली पत्नी का निधन 1984 में हुआ। 16 साल बाद 2001 में जय नारायण की मौत हो गई। इसके बाद उनकी दूसरी पत्नी ने पेंशन के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कंपनी और हाईकोर्ट दोनों जगहों से उन्हें राहत नहीं मिली। फिर राधा देवी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं।

First published on: Aug 01, 2024 10:39 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें