सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के तौर पर नियुक्ति के लिए तीन नामों की सिफारिश सरकार को भेजी है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता में जिनके नाम भेजे हैं, उनमें कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी अंजारिया, गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस ए एस चंदुरकर का नाम शामिल है।
इनके नाम की भेजी सिफारिश
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जिनकी सिफारिश की है उनमें जस्टिस विजय बिश्नोई का नाम शामिल है, जो फिलहाल गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। इनका मूल हाईकोर्ट राजस्थान है। विजय बिश्नोई ने जुलाई 1989 में वकालत की शुरुआत की थी और राजस्थान हाई कोर्ट व सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल, जोधपुर में विभिन्न मामलों की पैरवी की। वे भारत सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील भी रहे हैं। वह 2013 में राजस्थान हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 2015 में स्थायी जज बनें। इसके बाद 5 फरवरी 2024 को उन्होंने गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
जस्टिस एन. वी. अंजारिया वर्तमान में कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। इनका मूल हाई कोर्ट गुजरात है। अंजारिया ने अगस्त 1988 में गुजरात हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील एस. एन. शेलत के साथ वकालत शुरू की थी। वे संवैधानिक, सिविल, श्रम और सेवा मामलों में विशेषज्ञ माने जाते हैं। 25 फरवरी 2024 को उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज हैं। चंदुरकर ने 1988 में वकालत शुरू की और बाद में नागपुर स्थानांतरित होकर विविध कानूनी मामलों में विशेषज्ञता हासिल की। वे बॉम्बे हाईकोर्ट में 2013 से न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं।
क्यों की गई सिफारिश?
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाले 5 सदस्यीय कॉलेजियम ने पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस एएस ओका, जस्टिस ऋषिकेश रॉय के सेवानिवृत्त होने के बाद शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों के तीन मौजूदा रिक्त पदों के लिए नामों की सिफारिश करने का फैसला किया। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी 9 जून को सेवानिवृत्त होने वाली हैं। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है, जबकि वर्तमान में यह 31 न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है।
कैसे काम करती है सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम?
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम शीर्ष अदालत के एक फैसले के बाद 1993 में अस्तित्व में आई थी। इस प्रणाली के तहत सर्वोच्च न्यायालय के 5 शीर्ष न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट और 25 हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति, स्थानांतरण और पदोन्नति की सिफारिश करते हैं। हालांकि, इस व्यवस्था के तहत सरकार के पास अधिकार है कि कॉलेजियम को उसकी आरे से की गई सिफारिश लौटा सकती है। इसके बाद कॉलेजियम की ओर से दोबारा सिफारिश की जाती है, सिफारिश दोहराए जाने पर सरकार आमतौर पर इसे स्वीकार कर लेती है। लेकिन कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब सरकार ने फाइल को फिर से लौटा दिया था या सिफारिशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। कॉलेजियम के सदस्यों में फिलहाल सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति नागरत्ना शामिल हैं।