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दिल्ली-NCR के 10 साल पुराने वाहनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कार्रवाई पर लगाई रोक

Delhi-NCR Old Vehicles: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR की पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध के खिलाफ फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके एक महीने के अंदर जवाब देने को कहा है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Aug 12, 2025 16:57
Delhi Traffic | Supreme Court | Petrol Diesel Vehicles
दिल्ली में करीब 62 लाख पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लागू किया गया था।

Delhi NCR Petrol Diesel Vehicles: सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करके 10 और 15 साल पुरानी गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके 4 हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार पुरानी गाड़ियों के खिलाफ कोई कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी।

सर्वोच्च न्यायालय ने वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को भी नोटिस जारी किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के साल 2018 के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी।

क्या है गाड़ियों पर बैन का मामला?

बता दें कि साल 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में इस आदेश को बरकरार रखते हुए दिल्ली के परिवहन विभाग को ऐसी गाड़ियों को जब्त करने और स्क्रैप करने का निर्देश दिया।

दिल्ली सरकार ने फरवरी 2024 में Guidelines for Handling End of Life Vehicles in Public Places of Delhi 2024 जारी करके पुरानी करीब 62 लाख पेट्रोल-डीजल गाड़ियों को सड़कों से हटाने और स्क्रैप करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश का विरोध हुआ। लोगों और सामाजिक संगठनों ने आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई।

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क्यों लिया गया था कार्रवाई का फैसला?

बता दें कि दिल्ली-NCR दुनिया के सबसे प्रदूषित इलाकों में से एक है। वहीं दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ है। इसलिए पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को हटाने का फैसला किया गया, ताकि राजधानी की हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

फैसले के अनुसार, गाड़ियों को जब्त करके स्क्रैपिंग यार्ड में भेजा जाना था। दिल्ली सरकार ने नई गाड़ी खरीदने वालों को पुरानी गाड़ी स्क्रैप करने पर 20% तक रोड टैक्स में छूट की योजना शुरू की गई थी। गाड़ियों की फिटनेस और उत्सर्जन मानकों की परवाह किए बिना प्रतिबंध लागू किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट में कब दायर हुई याचिका?

साल 2024 में नागलक्ष्मी लक्ष्मी नारायणन ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की पुरानी गाड़ियों पर बैन की नीति को चुनौती दी, जिसमें दावा किया गया कि फिटनेस या उत्सर्जन मानकों को ध्यान में रखे बिना गाड़ियां जब्त करने का आदेश दिया गया है और यह आदेश संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अक्टूबर 2024 को याचिका खारिज कर दी, लेकिन याचिकाकर्ता को दिल्ली सरकार के सामने एक रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर दिल्ली सरकार कोई प्रतिकूल आदेश देती है, तो याचिकाकर्ता कानून के अनुसार आदेश को चुनौती दे सकता है।

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गुरुग्राम में भी दर्ज हुआ था मुकदमा

बता दें कि अक्टूबर 2023 में गुरुग्राम के वकील मुकेश कुल्थिया ने हरियाणा के परिवहन सचिव नवदीप सिंह विर्क (IPS) और केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के खिलाफ गुरुग्राम जिला अदालत में एक आपराधिक मुकदमा दायर किया था। कुल्थिया ने दावा किया कि पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध मोटर वाहन अधिनियम (2019, 2021, 2023) के संशोधनों का उल्लंघन करता है, जिसमें डीजल और पेट्रोल गाड़ियों की वैधता 15 साल तक निर्धारित है, जिसे 5 साल और बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने प्रतिबंध को कार बंदी घोटाला करार दिया और आरोप लगाया कि यह इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने की साजिश है, जिसमें NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का गलत हवाला दिया जा रहा है। कुल्थिया के अनुसार, साल 2000 से पहले रजिस्टर्ड गाड़ियों पर ही NGT का आदेश लागू होता है, न कि साल 2001 के बाद की BS मानक वाली गाड़ियों पर लागू होगा।

First published on: Aug 12, 2025 04:28 PM

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