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ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना में सेवा देना चाहते हैं पूर्व सैनिक, सैनिक कल्याण बोर्ड ने दी मंजूरी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई पूर्व सैनिकों ने अपनी सेवा सेना में फिर से देने की पेशकश की थी। ऐसे में सैनिक कल्याण बोर्ड ने इसकी मंजूरी दे दी है। पहलगाम हमले के बाद पूर्व सैनिकों के लिए बनाए गए ट्रस्ट ने सैनिक कल्याण बोर्ड को पत्र लिखा था।

Author Written By: Pawan Mishra Author Edited By : Deepti Sharma Updated: May 19, 2025 14:48
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद आर्मी आतंकियों का पूरी तरह से सफाया करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है और इस कोशिश में सफलता भी मिल रही है। गंभीर माहौल को देखते हुए सैनिक कल्याण बोर्ड ने इसकी मंजूरी दे दी है। पहलगाम हमले के बाद पूर्व सैनिकों के लिए बनाए गए ट्रस्ट ने सैनिक कल्याण बोर्ड को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें भी सुरक्षा के कामों में लगाया जा सकता है। क्योंकि उन्हें सुरक्षा से जुड़ी सभी तरह के अनुभव होने के साथ ही अत्याधुनिक हथियार चलाने का सालों का अनुभव है।

रक्षा मंत्रालय के 1 हजार आवेदन आए थे

रक्षा मंत्रालय के पास लगभग एक हजार आवेदन आए थे, जिनमें 435 पूर्व सैनिकों की पहचान की गई है। इस योजना के तहत 4000 पूर्व सैनिकों वॉलेंटियर्स की पहचान की गई है। इनमें से 435 पूर्व सैनिकों के पास लाइसेंस पर्सनल वेपन हैं। इन पूर्व सैनिकों को जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पावर स्टेशन, ब्रिज और अन्य सेंसिटिव जगहों की सुरक्षा में लगाया जाएगा।

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4,000 पूर्व सैनिकों की गई पहचान

स्वीकृत योजना के मुताबिक, इस पहल के लिए 4,000 पूर्व सैनिकों की पहचान हुई है। इनमें से 435 एक्स सर्विसमैन के पास लाइसेंसी वेपन हैं, जो लोकल सिक्योरिटी स्थितियों का सही तरीके से जवाब देने की कैपेसिटी भी रखते हैं। यह पहल कोविड-19 के दौरान पिछली सफलता पर बेस्ड है। जब 2500 एक्स सर्विसमैन ने प्रशासन का समर्थन करने के लिए अपनी इच्छा से काम किया था।

कौन करेगा पूर्व सैनिकों की ड्यूटी तय? 

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज24 को बताया कि यह पहल न केवल पूर्व सैनिक समुदाय के अनुशासन, अनुभव और प्रतिबद्धता का उपयोग करती है, बल्कि समावेशी और भागीदारीपूर्ण सुरक्षा का मॉडल भी पेश करती है। पूर्व सैनिक जिला सैनिक कल्याण अधिकारियों के समग्र समन्वय और जिला प्रशासन व स्थानीय पुलिस के साथ तालमेल में काम करेंगे। आपको बता दें, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की लेयर को मजबूत करने के लिए कम्युनिटी बेस्ड सिक्योरिटी पर लगातार काम हो रहा था। इन पूर्व सैनिकों की ड्यूटी सेना के साथ नहीं लगाई जाएगी। ये पूर्व सैनिक कहां पर ड्यूटी करेंगे, कितने घंटे की ड्यूटी करेंगे और किन-किन जगहों पर ये सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे, यह तय राज्य प्रशासन करेगा। बहरहाल, अभी के माहौल को देखते हुए पूर्व सैनिकों ने जो कदम उठाया है, वह काबिले तारीफ ही कहा जाएगा।

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First published on: May 19, 2025 02:33 PM

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