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Sabse Bada Sawal: मुस्कान लेकर आई लोकतंत्र की नई तस्वीर या माथे पर चिंता की लकीरें? जानें क्या कहते हैं पॉलिटिकल पंडित

Sabse Bada Sawal, 28 May 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल संडे स्पेशल में आज मैं बात करूंगा लोकतंत्र की। 28 मई को देश को नई संसद मिली। यानी लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर। यहां आम आदमी के लिए कानून बनते हैं। व्यवस्था बनती है और देश की दशा और दिशा तय […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Jun 6, 2023 16:12
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Sabse Bada Sawal,

Sabse Bada Sawal, 28 May 2023: नमस्कार, मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल संडे स्पेशल में आज मैं बात करूंगा लोकतंत्र की। 28 मई को देश को नई संसद मिली। यानी लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर। यहां आम आदमी के लिए कानून बनते हैं। व्यवस्था बनती है और देश की दशा और दिशा तय होती है। आज के दिन गौरवान्वित महसूस होना चाहिए था। आज दो कार्यक्रम हुए। सेंगोल को स्थापित किया गया। नई संसद का उद्घाटन भी हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारे लिए व्यवस्था नहीं, विचार और संस्कार है। विश्व गुरु बनने की राह पर ये नई संसद की इमारत एक महत्वपूर्ण कड़ी होने वाली है। सेंगोल कर्तव्यपथ, राष्ट्रपथ का प्रतीक है। ये एक तस्वीर है।

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दूसरी तस्वीर यह है कि विपक्ष ने संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया। लोकतंत्र में जितना सत्ता पक्ष महत्वपूर्ण है, उतना ही विपक्ष भी। ये एक-दूसरे के पूरक हैं। राहुल गांधी ने इस पूरे कार्यक्रम को राजशाही से जोड़ते दिखे। उन्होंने संसद को जनता की आवाज बताया। अहंकारी राजा का राज्याभिषेक हो गया, उसने जनता की आवाज सड़क पर कुचली। मतभेद होना चाहिए। लेकिन मनभेद नहीं। आरजेडी ने तो हद कर दी। उसने संसद को ताबूत बता दिया। जेडीयू कह रही है कि आज कलंक की कहानी गढ़ी जा रही है। इसी संसद में लोग आकर बैठेंगे, फिर इतना विरोध। लेकिन सवाल तो सत्ता पक्ष से भी है। राष्ट्रपति को बुलाया जाना चाहिए था।

संसद से 400 मीटर दूर जंतर-मंतर पर पहलवान एक महीने एक हफ्ते से धरने पर बैठे हैं। विरोध करना हमारा मौलिक अधिकार है। सरकार से सवाल पूछा जाना देशद्रोह नहीं है। तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उसकी आवाज सुनी जाए। पुलिस ने पहलवानों को उठा लिया। सारे तंबू उखाड़ लिए। इन नेताओं को जनता चुनती है। जो समर्थन में आ रहे थे। उन्हें रोक लिया गया। पहले बात कर ली जाती। भरोसा दिया जाता। मगर जो तस्वीर आती है वे मुस्कान लेकर आती है या चिंता की लकीरें और गहरी होती हैं। आज का सबसे बड़ा सवाल है कि 28 मई आई…लोकतंत्र की नई तस्वीर लाई? देखिए बड़ी बहस…

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First published on: May 29, 2023 03:58 PM

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