Sabse Bada Sawal, 27 June 2023: नमस्कार मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में बात होगी पेंशन की। ये बुढ़ापे की लाठी है, जो 2004 में एनडीए की सरकार के समय खत्म कर दी गई। इसे सही मायने में इसे जमीन पर उतारा मनमोहन की सरकार ने। इस व्यवस्था को खत्म करने में एनडीए और यूपीए दोनों का बराबर का हाथ है। लेकिन अब ये सवाल राजनीति बन गया है। लखनऊ में चारबाग स्टेडियम में सरकारी कर्मचारियों ने एक हुंकार रैली की। 35 जिलों में पेंशन रथ यात्रा निकाली जा चुकी है।
नई और पुरानी पेंशन में फर्क क्या है? पुरानी पेंशन में आखिरी तनख्वाह का आधा हिस्सा मिलता था। नई पेंशन योजना सरकारी कर्मचारी के अलावा 18 साल से 60 साल की उम्र का कोई भी भागीदार बन सकता है। 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी राशि मिलती थी। पुरानी पेंशन में ट्रेजरी से भुगतान होता है। कर्मचारी की सैलरी से कोई पैसा नहीं कटता है। इस स्कीम में जीपीएफ का प्रावधान है। छह महीने बाद मिलने वाले डीए का प्रावधान है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना लागू हो चुकी है। ये कांग्रेस शासित प्रदेश है। अब कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह सत्ता में आई तो पूरे देश में पुरानी पेंशन लागू करेंगे। तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि पुरानी पेंशन बढ़ा रही बीजेपी की टेंशन? अर्थव्यवस्था डगमगाएगी…राजनीति चमक जाएगी? देखिए बड़ी बहस
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