Sabse Bada Sawal, 11 April 2023: नमस्कार…मैं हूं संदीप चौधरी। आज सबसे बड़ा सवाल में हम बात करेंगे मौजूदा राजनीति की और विपक्ष की एकजुटता की। पिछले कुछ महीनों में हमने देखा है कि विपक्ष साथ आता है, फिर कोई बिखर जाता है। फिर साथ आने की कोशिश होती है। कोई मुद्दा आ जाता है। एक धड़ा फिर अलग हो जाता है।फिर मनाने का दौर शुरू होता है, तब तक कोई और क्षेत्रीय दल नाराज हो जाता है।
ये कश्मकश लगातार चलती आ रही है। लेकिन अब एक बार फिर 7 महीने बाद विपक्ष को एक साथ लाने की कोशिश दिल्ली में हो रही है। नीतीश कुमार पहले भी कई बार ऐसा ही प्रयास करने दिल्ली आते रहे हैं। वे दिल्ली में राहुल गांधी और सोनिया गांधी सहित कई अन्य नेताओं से भी मिले। लगा कि विपक्ष अब शायद एकजुट हो जायेगा और इसमें कांग्रेस को विपक्ष की धुरी बनना चहिए, ये पहले दिन से जेडीयू का स्टैंड रहा। कांग्रेस ने भी कहा कि बात आगे बढ़ाएंगे। लेकिन उसके बाद शांति हो गई। माहौल ठंडा गया। कोई वार्ता, संवाद कुछ नहीं हुआ। इस बात को लेकर झल्लाहट जेडीयू के खेमे में भी दिखी।
आक्रामक मुद्दा में नजर आ रही कांग्रेस
इसमें कुछ सवाल भी उठने लगे कि कांग्रेस सितंबर में इसलिए विपक्षी एकजुटता के लिए राजी हो गई थी, क्योंकि सितंबर में कांग्रेस पूरी तरह से हाशिए पर जा रही थी। लेकिन उसके बाद भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को कुछ ऊर्जा मिली। हिमाचल का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में आत्मविश्वास बढ़ा। अब पिछले दो माह मैं जो कुछ देखने को मिल रहा है कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता भी छीनी गई, उनका बंगला भी छिन गया तो कांग्रेस कुछ आक्रामक मुद्रा में आती हुई भी दिखी।
कुल मिलाकर विपक्षी एकता क्यों नहीं बन पा रही है, क्यों बिखर जाते हैं हर बार कोई न कोई विपक्षी दल।सबसे बड़ा सवाल- महीनों बाद मुलाकात, क्या बनेगी बात? परीक्षा लोकतंत्र की या विपक्ष की? क्या बिखरा हुआ विपक्ष बीजेपी को टक्कर दे पाएगा? देखिए पूरी बहस
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