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‘नेहरू की चिट्ठियां क्यों अपने साथ ले गईं सोनिया गांधी…’, संसद में हंगामा, संबित पात्रा ने की ये मांग

Ruckus in Parliament: पीएमएमएल सोसाइटी के सदस्य के कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लिखे लेटर पर सोमवार को संसद में हंगामा हो गया। लेटर को लेकर बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने सोनिया गांधी को घेरा। आखिर मामला क्या है, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Dec 16, 2024 14:55
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sambit patra
संबित पात्रा। Photo-ANI

Sambit Patra: प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी के एक सदस्य ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेटर लिखा था। सदस्य ने उनसे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े लेटर्स को लौटाने की मांग की है। इस मुद्दे पर सोमवार को संसद में भी हंगामा देखने को मिला। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने लोकसभा में मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय को मामले की जांच करनी चाहिए। ये लेटर देश के प्रथम प्रधानमंत्री से जुड़े हैं, उनको वापस लाया जाए। सभी दस्तावेज देश के लिए जरूरी हैं।

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इनकी सत्यता की जांच होनी चाहिए। नेहरू ने एडविना माउंटबेटन और जयप्रकाश नारायण समेत कई नेताओं को खत लिखे थे। पात्रा के अनुसार ये खत सोनिया गांधी ले गई थीं। अब इनको वापस करने की मांग को लेकर भाजपा हमलावर है। संबित पात्रा ने संसद में कहा कि क्या राहुल गांधी इन खतों को पीएम संग्रहालय को लौटाने में मदद करेंगे? इन खतों में आखिर क्या लिखा था, जो उठाने में इतनी जल्दबाजी की गई? इन्हें कहां रखा गया है, जनता इसके बारे में जानना चाहती है?

पात्रा ने पूछी वजह

पात्रा ने पूछा कि पीएम संग्रहालय का नाम नेहरू म्यूजियम एंड लाइब्रेरी था। जहां सिर्फ जवाहरलाल नेहरू से जुड़े दस्तावेज रखे गए थे। जितने पीएम अब तक बने हैं, उनकी भी पूरी जानकारी यहां होती थी। 2008 में यूपीए चेयरपर्सन सभी खत अपने साथ ले गई थीं। पात्रा ने सवाल उठाया कि पूरी सामग्री को डिजिटल अपलोड करने को लेकर 2010 में फैसला लिया गया था। लेकिन सोनिया गांधी इतनी जल्दी में क्यों थीं? वे अपने साथ सभी खतों को 51 डिब्बों में भरकर ले गईं।

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क्या वजह है कि आखिर गांधी परिवार इन खतों को देश को दिखाना नहीं चाह रहा? संविधान जैसे मुद्दे पर संसद में बहस हो रही है, ऐसे मौके पर इन खतों को छिपाया जा रहा है। पात्रा ने फिर सवाल दोहराया कि ये वजह बतानी जरूरी है। आखिर इन लेटर्स को डिजिटाइजेशन से पहले क्यों उठा लिया गया? ऐसी सेंसरशिप को क्यों लागू किया गया, जब संविधान जैसे अहम इश्यू पर डिबेट चल रही हो?

यह है मामला

1964 में जवाहर लाल नेहरू म्यूजियम होता था। इसे आज PMML बनाया जा चुका है। इसे चलाने के लिए 29 सदस्य का दल है। फरवरी में इसकी बैठक हुई थी। पब्लिक डोमेन में बताया था कि जवाहर लाल नेहरू के जो पत्राचार 1971 में म्यूजियम को डोनेट किए गए थे। 2008 में सोनिया गांधी ने एक लाइब्रेरी में अपने एक प्रतिनिधि को भेजा और उन्होंने 51 कार्टन में सभी लेटर्स अपने घर मंगवा लिए थे। इसको लेकर न्यायिक सलाह लेने के बाद रिजवान कादरी ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है। जिसमें इनको लौटाने की मांग की है।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Dec 16, 2024 02:55 PM

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