RSS chief Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने दो दिवसीय केरल दौरे के दौरान पथानामथिट्टा जिले में पंपा नदी के किनारे वार्षिक चेरुकोलपुझा हिंदू धर्म सम्मेलन (Cherukolpuzha Hindu Convention) को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज को अपना जीवन चलने के लिए हिंदू एकता की आवश्यकता है, उससे शक्ति पैदा होगी, यह बताने के लिए और कोई तर्क देने की आवश्यकता नहीं है। विश्व में एक नियम है ,जो समाज संगठित है वह शिखर पर होता है, जो समाज बंटा हुआ है, संगठित नहीं है, उस समाज का पतन होता है। इतिहास और वर्तमान दोनों इसके गवाह हैं।
पारंपरिक कपड़े पहनने और अंग्रेजी नहीं बोलने की दी सलाह
आरएसएस प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि हिंदुओं को सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय पारंपरिक कपड़े पहनने चाहिए और अंग्रेजी नहीं बोलनी चाहिए। भागवत ने कहा कि “धर्म” हिंदू धर्म की आत्मा है और सभी को इसका व्यक्तिगत रूप से पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर घर के लोगों को सप्ताह में कम से कम एक बार प्रार्थना करने या इस बात की चर्चा करने के लिए एक जगह जमा होना चाहिए कि क्या उनकी जीवनशैली परंपरा के अनुसार है।
भागवत ने कहा, “हमें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि हम जो भाषा बोलते हैं, किसी जगह पर जाते हैं, तो हमारे कपड़े परंपरा के अनुसार होते हैं या नहीं। हमें अपने इलाकों में अन्य जगहों पर जाना चाहिए और अपने उन भाइयों से मिलना चाहिए जिन्हें हमारी मदद की जरूरत है। हमें अंग्रेजी नहीं बोलनी चाहिए और हमें अपने स्थानीय खाना ही खाना चाहिए। कार्यक्रमों में भाग लेते समय हमें अपने पारंपरिक कपड़ों को ही पहनना चाहिए, न कि वेस्टर्न ड्रेस का।”
‘हिंदू समाज को अपने अस्तित्व के लिए एकजुट होना चाहिए’
भागवत ने अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान केरल के आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक नारायण गुरु पर आधारित एक पुस्तक का भी विमोचन किया। इससे पहले वे आरएसएस से जुड़े कार्यक्रमों को लेकर 16 से 21 जनवरी तक इस राज्य का दौरा कर चुके हैं। भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को अपने अस्तित्व के लिए एकजुट होना चाहिए और एक समुदाय के रूप में खुद को मजबूत करना चाहिए। लेकिन, मजबूत होने के भी अपने डर हैं। ताकत के इस्तेमाल करने का तरीका महत्वपूर्ण है। इससे किसी और को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।” उन्होंने कहा कि धर्म दुनिया भर में संघर्षों का कारण है, क्योंकि कई लोग सोचते हैं कि उनका धर्म और विश्वास सर्वोच्च हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म अलग है क्योंकि यह सनातन धर्म का पालन करता है और एकता का आह्वान करता है।
‘जाति कोई मायने नहीं रखती’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू धर्म में कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है। जाति कोई मायने नहीं रखती और छुआछूत के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने सभी हिंदुओं से एक-दूसरे का सम्मान करने का आग्रह किया और कहा कि अगर सभी हिंदू एकजुट हो जाएं, तो इससे दुनिया को फायदा होगा। भागवत ने एकजुट होने के तरीके भी सुझाए, जिनमें खुद को पहचानना, सभी के साथ समान व्यवहार करना और पर्यावरण की रक्षा करना शामिल है।
‘परिवारों में संस्कारों के महत्व पर चर्चा हो’
उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए नीतिगत बदलावों में समय लगेगा, लेकिन लोग तीन छोटी चीजें कर सकते हैं। पानी बचाएं, पेड़ लगाएं और प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करें। आरएसएस प्रमुख ने परिवारों में संस्कारों के महत्व पर चर्चा की अपील की। उन्होंने दावा किया कि इससे केरल में मादक पदार्थों की लत की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है।
‘हिंदू एक स्वभाव का नाम’
भागवत ने कहा कि शक्तिमान होने से बाकी दुनिया को भी खतरा हो सकता है, क्योंकि शक्ति तो शक्ति है ,उसको दिशा देने वाला मनुष्य होता है, उस शक्ति का उपयोग करने वाला होता है ,उसकी बुद्धि कैसी है, उस पर निर्भर है, दुष्ट लोग विद्या का उपयोग विवाद बढ़ने के लिए करते हैं। हम अपने चारों ओर देखते हैं तो ध्यान में आता है धन का उपयोग अपना मत बढ़ाने के लिए करते हैं, शक्ति का उपयोग दूसरों को पीड़ा देने के लिए करते हैं, लेकिन साधु लोगों का इससे उल्टा होता है। अच्छे लोग विद्या का उपयोग ज्ञान बढ़ाने के लिए करते हैं, धन का उपयोग दान करने के लिए करते हैं, शक्ति का उपयोग दुर्बल की रक्षा के लिए करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू एकता विश्व के लिए उपकारी होगी, यह कैसे होगा, इसमें कोई शंका की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि, हिंदू एक स्वभाव का नाम है, हिंदू में अनेक मत, पंथ, संप्रदाय है।