बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जमकर विवाद हो रहा है। विपक्ष चुनाव आयोग और इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठा रहा है। अब आरजेडी सांसद डॉ मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने चुनाव आयोग के इस कदम को चुनौती दी है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को तत्काल लागू करने का निर्देश दिया है। इसकी प्रक्रिया बिहार में की जा रही है। इसको लेकर विपक्ष तरह-तरह के आरोप लगा रहा है। वहीं मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ कर दिया है कि यह एक साधारण कानूनी प्रक्रिया है, जिसका पालन किया जा रहा है।
चुनाव आयोग बोला- नियमों में कोई बदलाव नहीं
चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “SIR का प्रारंभिक चरण, जिसके दौरान गणना फार्म वितरित किए जाने थे, लगभग पूरा हो चुका है तथा फार्म सभी उपलब्ध मतदाताओं को दिए जा चुके हैं।” चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि एसआईआर 24 जून, 2025 के एसआईआर निर्देशों के अनुसार आयोजित किया जा रहा है और निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
निर्देश के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को जारी किए जाने वाले मसौदा मतदाता सूची में उन व्यक्तियों के नाम शामिल होंगे जिनके गणना फॉर्म प्राप्त हुए हैं।
जांच के दौरान मांगे जा सकते हैं दतावेज
चुनाव आयोग की तरफ यह भी कहा गया है कि मतदाता 25 जुलाई, 2025 से पहले किसी भी समय अपने दस्तावेज जमा कर सकते हैं। मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद यदि कोई दस्तावेज कम है तो ईआरओ जांच के दौरान उन मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज ले सकते हैं, जिनका नाम मसौदा मतदाता सूची में है।”
यह भी बताया गया कि पिछले 4 महीनों के दौरान, सभी 4,123 ईआरओ, सभी 775 डीईओ और सभी 36 सीईओ ने 28,000 राजनीतिक दल प्रतिनिधियों के साथ लगभग 5,000 बैठकें की हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। किसी न किसी कारण से कोई भी मतदाता सूची की मौजूदा स्थिति से संतुष्ट नहीं है।