नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के एक सीनियर वैज्ञानिक ने सोमवार को कहा कि मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों से ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) नहीं होगा।
अभी पढ़ें – Rajeev Shukla: कांग्रेस के सांसद राजीव शुक्ला का दावा, बोले- आनंद शर्मा पार्टी से असंतुष्ट नहीं हैं
एएनआई के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू में आईसीएमआर-एनआईवी, पुणे की सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर प्रज्ञा यादव ने कहा कि मंकीपॉक्स के मामलों में स्पाइक से एचआईवी नहीं होगा। एसेप्टोमैटिक मंकीपॉक्स रोगियों की क्षमता और सीरोलॉजिकल निगरानी के महत्व पर चर्चा करते हुए डॉ यादव ने कहा, “मंकीपॉक्स के मामले एसैप्टोमैटिक हो सकते हैं। इस तरह के अध्ययन करने के लिए एक एलिसा परख (ELISA assay) विकसित की जा रही है।”
मंकीपॉक्स के खिलाफ चेचक के टीके की प्रभावशीलता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में 86 प्रतिशत प्रभावी है। डॉ यादव ने केरल में मंकीपॉक्स से मौत की पहली घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मौत के मामले में एन्सेफलाइटिस के लिए अन्य एटियलजि की खोज नहीं की गई थी और रोगी को पहले से ही बीमारी होने की पुष्टि की गई थी। इसलिए, मंकीपॉक्स से मौत की संभावना हो सकती है।”
डॉक्टर यादव ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) भी प्रयोगशालाओं के अपने नेटवर्क का विस्तार कर रही है। उन्होंने कहा, “आईसीएमआर क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयोगशाला नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। हम आईसीएमआर द्वारा जारी रुचि की अभिव्यक्ति के अनुसार सीरोलॉजिकल एसेज़ विकसित करने और वैक्सीन की दिशा में काम कर रहे हैं।”
अभी पढ़ें – अमित शाह बोले- 35 हजार पुलिसकर्मियों की जान गई, आतंकवाद सामने खड़ा नहीं हो सकता
डॉक्टर यादव ने ये भी कहा कि द लैंसेट में हाल के एक अध्ययन के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस मनुष्यों से कुत्तों में फैल सकता है। उन्होंने कहा कि कोई शख्स अगर घर में अपने कुत्तों के साथ रहता है और उनके नजदीक रहता है तो ऐसे में मंकीपॉक्स का ट्रांसमिशन हो सकता है।
अभी पढ़ें – देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें
Click Here – News 24 APP अभी download करें