RSS chief Mohan Bhagwat on Reservations: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर जारी घमासान के बीच बुधवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे समाज में भेदभाव मौजूद है, जब तक असमानता बनी रहेगी, आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए। इस दौरान उन्होंने अखंड भारत की परिकल्पना पर भी प्रतिक्रिया दी। संघ प्रमुख ने कहा कि यदि आज से अखंड भारत की दिशा में काम शुरू कर दो तो बूढ़े होने तक सपना पूरा हो जाएगा।
2 हजार सालों तक झेली यातना
नागपुर के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमने अपने ही साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की और यह 2000 वर्षों तक जारी रहा। जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं करते, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे और आरक्षण उनमें से एक है। भेदभाव होने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। आरएसएस में हम संविधान में दिए गए आरक्षण को पूरा समर्थन देते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में भेदभाव मौजूद है, भले ही हम इसे देख न सकें।
उन्होंने कहा कि अगर समाज के जिन वर्गों को भेदभाव का सामना करना पड़ा, वे 2000 वर्षों तक पीड़ित रहे, तो हम (जिन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा) अगले 200 सालों तक क्या कुछ परेशानी नहीं झेल सकते हैं।
जो लोग अलग हुए, उन्हें अब गलती का एहसास
एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि वह ठीक-ठीक नहीं बता सकते कि अखंड भारत कब अस्तित्व में आएगा। लेकिन अगर आप इसके लिए काम करते रहेंगे, तो आप बूढ़े होने से पहले इसे साकार होता हुआ देखेंगे। क्योंकि हालात ऐसे बन रहे हैं कि जो लोग भारत से अलग हो गए, उन्हें लगता है कि उन्होंने गलती की है। उन्हें लगता है कि हमें फिर से भारत होना चाहिए था। वे कहते हैं सोचते हैं कि भारत बनने के लिए उन्हें मानचित्र पर रेखाओं को मिटाने की आवश्यकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। भारत बनना भारत की प्रकृति को स्वीकार करना है।
#WATCH | Nagpur, Maharashtra: On reservations, RSS chief Mohan Bhagwat says, "We kept our own fellow human beings behind in the social system…We did not care for them, and this continued for almost 2,000 years…Until we provide them equality, some special remedies have to be… pic.twitter.com/kBxrlAYAgV
— ANI (@ANI) September 6, 2023
क्या संघ ने नहीं फहराया ध्वज?
इस दावे के बारे में एक सवाल पर कि आरएसएस ने 1950 से 2002 तक यहां महल क्षेत्र में अपने मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया था, भागवत ने कहा कि हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को हम जहां भी हों, राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। नागपुर में महल और रेशिमबाग में हमारे दोनों परिसरों में ध्वजारोहण किया जा रहा है। लोगों को हमसे यह सवाल नहीं पूछना चाहिए। इसके बाद उन्होंने 1933 में जलगांव के पास कांग्रेस के तेजपुर सम्मेलन के दौरान की एक घटना को याद किया जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 80 फीट के खंभे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
उन्होंने बताया, करीब 10,000 की भीड़ के सामने झंडा बीच में फंस गया, लेकिन एक युवक आगे आया। खंभे पर चढ़ गया और उसे छुड़ा लिया। भागवत ने दावा किया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं को अगले दिन सम्मेलन में अभिनंदन के लिए उपस्थित होने के लिए कहा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि युवा आरएसएस की ‘शाखा’ में शामिल हुए थे।
#WATCH | Nagpur, Maharashtra: At an event, RSS chief Mohan Bhagwat says, "In Sangh's culture, wherever there is a question of the nation's pride and the national flag, Sangh workers will always be at the forefront to sacrifice their lives." pic.twitter.com/qSOsKPacHZ
— ANI (@ANI) September 6, 2023
आरएसएस प्रमुख ने कहा, जब (आरएसएस संस्थापक) डॉ केशव बलिराम हेडगेवार को यह पता चला, तो वह युवक के घर गए और उसकी प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि युवक का नाम किशन सिंह राजपूत है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस उस समय से ही राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान से जुड़ा रहा है जब पहली बार उसे किसी समस्या का सामना करना पड़ा था। हम भी इन दो दिनों (15 अगस्त और 26 जनवरी) पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। जब राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान की बात आती है, तो हमारे स्वयंसेवक सबसे आगे रहे हैं और अपना जीवन देने के लिए तैयार रहे हैं।
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